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Ambikapur News: VIP लोगों को घुमाने के नाम पर चल रहा था फर्जीवाड़े का खेल, ऐसे हुआ मामले का खुलासा
साल 2010 में अम्बिकापुर के आरटीआई कार्यकर्ता और अधिवक्ता डीके सोनी ने सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मांगी थी, उससे वीआईपी व्यक्तियों को दी जाने वाली वाहन सुविधा में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था.
Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में साल 2010 में वीआईपी पर्सन को लग्जरी गाड़ियां उपलब्ध कराने और पेट्रोल-डीजल के नाम पर लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा करने का मामला उजागर हुआ था, तब ईओडब्ल्यू ने इस फर्जीवाड़ा में संलिप्त तत्कालीन अपर कलेक्टर के अलावा 7 अन्य लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था. अब 12 साल बाद ईओडब्ल्यू ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर विशेष न्यायालय में पेश किया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज होने पर जेल भेज दिया गया. वहीं तत्कालीन अपर कलेक्टर समेत 5 आरोपी अब भी फरार हैं.
दरअसल 12 साल पहले 2010 में अम्बिकापुर के आरटीआई कार्यकर्ता और अधिवक्ता डीके सोनी ने सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मांगी थी, उसके तहत प्रोटोकॉल विभाग में वीआईपी व्यक्तियों को दी जाने वाली वाहन सुविधा के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा करने का खुलासा हुआ था. सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी सामने आई थी, उसके मुताबिक वीआईपी व्यक्तियों को प्रोटोकॉल विभाग द्वारा दी जाने वाली लक्जरी वाहनों के नंबर बाइक, पिकअप और प्राइवेट कार के मिले थे. साथ ही उन्हें किराए में लिए गए वाहनों का नंबर बताकर भुगतान भी कर दिया गया था.
राज्यपाल और मुख्यमंत्री से की गई कार्रवाई की मांग
साल 2010 के अक्टूबर माह में जब इस मामले का सच सामने आया तो अधिवक्ता डीके सोनी ने इस गड़बड़ी की शिकायत राज्यपाल और मुख्यमंत्री से करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की थी. अधिवक्ता डीके सोनी ने बताया था कि साल 2007 से 2009 तक के दौरान प्रोटोकॉल विभाग से वीआईपी को उपलब्ध कराए गए वाहनों के प्रकार, उसकी सूची, किराया भुगतान और डीजल-पेट्रोल खर्चे का विवरण आरटीआई के माध्यम से मांगा गया था. स्थानीय स्तर पर हीला हवाली के बाद राज्य सूचना आयुक्त के निर्देश के बाद प्रोटोकॉल विभाग द्वारा 562 वाहनों की जानकारी दी गई थी.
कई आरोपी अभी भी फरार
वहीं जांच पड़ताल के बाद 2012 में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने तत्कालीन अपर कलेक्टर वीके धुर्वे सहित 7 आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था. मामला उजागर होने के 12 साल बाद ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को इस फर्जीवाड़ा में शामिल उमेश चंद श्रीवास्तव और बैजनाथ विश्वकर्मा को गिरफ्तार कर स्पेशल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट में पेश किया, जहां सुनवाई के बाद विशेष न्यायालय ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी और फिर जेल भेज दिया गया. इस मामले में तत्कालीन अपर कलेक्टर वीके धुर्वे, अजय मिश्रा, अखिलेश कुमार गुप्ता, विजय गुप्ता, दिलीप विश्वकर्मा की अभी फरार है.
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अशोक वानखेड़ेवरिष्ठ पत्रकार
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