Dhamtari News: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में संतान प्राप्ति के लिए एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. इसमें एक कतार में महिलाएं अगरबत्ती और नारियल लेकर पेट के बल दंडवत जमीन पर लेट जाती हैं. इसके बाद ढेर सारे बैगा उनके ऊपर से गुजरते हैं. मान्यता है कि जिस महिला के ऊपर बैगा का पैर पड़ता है निश्चित तौर पर संतान प्राप्ति होती है. इसे माता अंगार मोती का आशीर्वाद कहा जाता है. आज के दौर में आखिर ऐसी मान्यताओं पर कौन यकीन करता है ये सवाल सबके मन में उठता है पर ये वर्षों पुरानी मान्यता आज भी प्रचलित हैं. चलिए बताते हैं आपको इसकी पूरी कहानी.


संतान प्राप्ति के लिए खुल को बैगा से कुचलवाती हैं महिलाएं
दरअसल धमतरी जिले में अंगारमोती माता का मंदिर है. यहां हजारों श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने के लिए आते हैं.  दिवाली के बाद पहले शुक्रवार को यहां मड़ाई मेला लगता है. इसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मेले में खासकर वे महिलाएं आती हैं जिनके बच्चे नहीं होते हैं. औलाद की लालसा में हजारों की संख्या में महिला श्रद्धालुओं की भीड़ यहां जुटती है. इसके बाद मान्यता के अनुसार निसंतान महिलाओं को बैगा अपने पैरों से कुचलते हुए मंदिर तक जाते हैं.


आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब के दौर में भी जिंदा हैं ऐसी परंपराएं


विज्ञान के इस दौर में निसंतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए टेस्ट ट्यूब और आईवीएफ जैसी तकनीक अपना रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ की ये महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए आज भी पुरानी परंपराओं पर विश्वास करती हैं. ये महिलाएं मंदिर के सामने हाथ में नारियल, अगरबत्ती और नींबू लिये कतार में खड़ी होती हैं. इन्हें इंतजार रहता है कि कब मुख्य बैगा मंदिर के लिए आएगा. दूसरी तरफ वो तमाम बैगा होते हैं जिन पर मां अंगार मोती सवार होती हैं. वो झूमते-झूपते थोड़े बेसुध से मंदिर की तरफ बढ़ते हैं. चारों तरफ ढोल नगाड़ो की गूंज रहती है. बैगाओं को आते देख कतार में खड़ी सारी महिलाएं पेट के बल दंडवत लेट जाती हैं और सारे बैगा उनके ऊपर से गुजरते हैं.


मंदिर के बैगा ने बताया कैसे पूरी होती है मनोकामना
मान्यताओं को लेकर मंदिर के बैगा सुदर्शन मरकाम ने बताया कि इससे निसंतान महिलाओं को संतान प्राप्ति होती है या जिनकी शादी नहीं हो रही है उनकी शादी हो जाती है. उन्होंने कहा कि इस साल 60 से 70 गांव के लोग आए हैं. हम निसंतान महिलाओं को माता का प्रसाद देते हैं और एक नारियल देते हैं जिसकी घर में पूजा करनी होती है और जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो फिर मंदिर आकर उस नारियल को विसर्जन किया जाता है. वहीं एक महिला ने बताया कि उसकी शादी को 6 साल हो गए है  लेकिन उसे बच्चा नहीं हुआ है. उसने करा कि मैं अपने बाल बच्चे के लिए आई हूं. मन्नत मांगने के लिए हम लोग जमीन पर लेट जाते हैं. मां से जो मुराद मांगो वह पूरी होती है. 


मान्यता की शुरुआत का कोई इतिहास नहीं
इस मान्यता की शुरुआत की जानकारी किसी के पास नहीं है लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा को हर साल निभाया जाता है. वहीं आपको बता दें कि धमतरी जिला अपने बांधों के लिये जाना जाता है, लेकिन जब गंगरेल बांध नहीं बना था तो वहां बसे गांवों में शक्ति स्वरूपा मां अंगारमोती इस इलाके की अधिष्ठात्री देवी थीं. बांध बनने के बाद वो तमाम गांव डुबान में चले गए. लेकिन माता के भक्तों ने अंगारमोती की गंगरेल के तट पर फिर से स्थापना कर दी.


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