Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में धर्मांतरण को लेकर विवाद बढ़ गया है, आलम यह है कि संभाग के तीन जिलों में आदिवासियों के दो समुदाय के बीच भारी घमासान मचा हुआ है. बस्तर जिले के लौंहडीगुड़ा में एक महिला के शव को दफनाने को लेकर हुए विवाद का मुद्दा इतना बढ़ गया कि दोनों समुदाय के लोगों को सड़क पर आना पड़ा.
वहीं इन समुदाय के बीच आपसी विवाद को रोकने के लिए बस्तर जिला प्रशासन को बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात करना पड़ा. साथ ही बस्तर कलेक्टर ने पूरे लौंहडीगुड़ा ब्लॉक में सामाजिक बैठकों पर रोक लगाने के आदेश भी जारी कर दिए. इसके अलावा नारायणपुर में भी दो दिन पहले ही विशेष समुदाय के लोगों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर लगभग 20 घंटों तक धरना प्रदर्शन किया था.
दरअसल, यहां पर दो समुदाय के बीच मारपीट और एक दूसरे का घर तोड़ने का आरोप लगाया गया था. वहीं कोंडागांव में भी धर्मांतरण को लेकर ही हुए दो समुदाय के विवाद के बाद विशेष समुदाय ने कोंडागांव कलेक्ट्रेट का भी घेराव कर दिया और यहां भी हालात बिगड़ते देख सामाजिक बैठकों में रोक लगा दी गई. वहीं विशेष समुदाय के लोगों ने नारायणपुर और कोंडागांव में इसी शर्त पर अपने आंदोलन को खत्म किया है कि जल्द से जल्द प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई करेगी. इधर धर्मांतरण को लेकर बीजेपी, कांग्रेस सरकार पर आरोप मढ़ रही है कि कांग्रेस के कार्यकाल में ही लगातार बस्तर संभाग में धर्मांतरण हो रहे हैं, तो वही कांग्रेस का कहना है कि बस्तर में सबसे ज्यादा धर्मांतरण बीजेपी शासनकाल में हुआ है. ऐसे में कांग्रेस पर धर्मांतरण को लेकर आरोप लगाना सही नहीं है.
दो समुदाय के बीच मचा है बवाल
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में 70% आबादी आदिवासियो की है. संभाग के सात जिलों में बड़ी संख्या में आदिवासी निवासरत हैं और अलग-अलग जाति और विशेष वर्ग के लोग भी इसमें शामिल हैं, लेकिन कुछ सालों से खासकर अंदरूनी गांव में धर्मांतरण की वजह से समुदायों के बीच घमासान मचा हुआ है. कुछ ग्रामीण नहीं चाहते हैं कि उनके गांव में धर्मांतरण हो और इसे रोकने के लिए लगातार प्रयास भी कर रहे हैं. हालांकि, जो लोग धर्मांतरण कर चुके हैं उनका आरोप है कि दूसरे समुदाय के लोग उन्हें वापस अपने धर्म में शामिल करने के लिए जोर जबरदस्ती कर रहे हैं.
लोगों ने किया चक्का जाम
इनके साथ मारपीट हो रही है और उनके घरों को भी तोड़ा जा रहा है. साथ ही गांव के गांव को खाली करवाया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है. नारायणपुर और कोंडागांव के सीमाई क्षेत्रों में इसी तरह का वाकया सामने आने के बाद दोनों ही जिलों के लोगों ने कोंडागांव और नारायणपुर के कलेक्ट्रेट का घेराव किया. साथ ही दूसरे समुदाय के लोग जिन्होंने मारपीट की उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की. वहीं बस्तर जिले में भी एक महिला के शव को दफनाने के लिए दो समुदाय के बीच विवाद हो गया और यह विवाद इतना बढ़ा कि दोनों समुदाय के लोगों ने चक्का जाम कर दिया और बस्तर सांसद से भी मुलाकात कर न्याय की मांग की.
बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर मढ़ रहे आरोप
इधर बस्तर के जानकारों का कहना है कि बस्तर में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा बन गया है और जिस तरह से लगातार धर्मांतरण हो रहा है ऐसे में आने वाले समय में इसको लेकर बवाल मच सकता है. ऐसे में सही समय पर प्रशासन को ठोस कदम उठाया जाना चाहिए. वहीं बीजेपी के नेता केदार कश्यप का कहना है कि धर्मांतरण रोकने के लिए बीजेपी सर्व आदिवासी समाज के साथ लगातार प्रयास कर रही है. हर जिले में इसके लिए कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि जो लोग भी धर्मांतरण कर रहे हैं उन्हें आरक्षण का लाभ देना बंद कर दिया जाएगा. इसके साथ ही बीजेपी के द्वारा कई ग्रामीणों का घर वापसी भी विभिन्न संगठनों के माध्यम से कराया गया है.
विधानसभा चुनाव में बन सकता है अहम मुद्दा
वहीं पिछले तीन-चार सालों में जिस तरह से लगातार धर्मांतरण बढ़ा है यह कांग्रेस कार्यकाल में ही हुआ है. इधर आबकारी मंत्री और बस्तर के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा का कहना है कि बीजेपी के पास मुद्दा नहीं है, इसलिए धर्मांतरण के मुद्दे को ही जोर देते आ रही है. जबकि हकीकत यह है कि बीजेपी के शासनकाल में ही बस्तर संभाग में सबसे ज्यादा धर्मांतरण हुए हैं. ऐसे में कांग्रेस पर आरोप लगाना सरासर गलत है. गौरतलब है कि चुनाव के लिए एक साल बच गए हैं और ऐसे में बस्तर संभाग में जिस तरह से धर्मांतरण को लेकर दो समुदाय के बीच बवाल मचा हुआ है और लगातार जो घटनाएं सामने आ रही है यह विधानसभा चुनाव का अहम मुद्दा बन सकता है.