World Environment Day News: हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मानाया जाता है. पर्यावरण को लेकर चिंता और चिंतन दुनियाभर किया जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ (णhhattisgarh) के बालोद (Balod) का यह शख्स पर्यावरण ( Environment ) को बचाने के लिए अनूठी मिसाल कायम कर रहा है. यह शख्स वन्य प्राणियों (Wild Animals) को बचाने और पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम वर्षों से कर रहा है.


कोई मंदिरों में दान करता है तो कोई गरीबों में, कोई अनाथालय में दान करता है तो कोई वृ़द्धाश्रम में लेकिन बालोद जिले के दल्लीराजहरा के रहने वाले वीरेन्द्र सिंह हर महीने अपने वेतन का 15 फीसदी हिस्सा पर्यावरण को बचाने के लिए खर्च कर देते हैं. वीरेन्द्र सिंह पिछले 22 वर्षों से लगातार पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में जुटे हैं. वीरेन्द्र सिंह कभी चेहरे पर पेंटिंग करवाकर लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं तो कभी वन्य प्राणियों की वेशभूषा धारण कर उनकी समस्याओं को लोगों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं. 


वीरेन्द्र 22 साल पहले एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक थे. वहीं से उन्होंने स्कूल के अन्य शिक्षकों और स्कूली छात्रों के साथ पर्यावरण संरक्षण करने की शुरूआत की. जिसके बाद कारवां आगे बढ़ता गया. शुरुआत में उन्होंने छोटे-छोटे नदी नालों की सफाई करने के साथ ही हरियाली लाने के लिए पौधारोपण का कार्य शुरू किया. अब यब काम यह बालोद जिले में नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में व्यापक पैमाने शुरू हो गया है.




तीन सौ पौधे बने वृक्ष


पर्यावरण को संरक्षित करने का जुनुन वीरेन्द्र सिंह के ऊपर इस कदर सवार है कि वह लगातार 22 सालों से हर माह अपने वेतन का 15 से 20 फीसदी हिस्सा पर्यावरण को संरक्षित करने और लोगों को जागरूक करने में लगा देते हैं. 20 साल पहले वीरेन्द्र पर्यावरण को संरक्षित करने का संदेश लेकर 8 युवाओं के साथ साइकल से भारत भ्रमण करते हुए नेपाल गए थे. वहां से वापस दल्लीराजहरा लौट कर बंजर और पथरीली भूमि में 300 पौधे लगाए थे जो आज विशाल वृक्ष बन गए हैं. मजे की बात यह भी है कि तब से वीरेन्द्र सिंह हर वर्ष स्कूली बच्चों के साथ वहां जाकर उन वृक्षों का जन्मदिन केक काटकर मनाते हैं. 


इसी तरह लगातार गिरते भूजल स्तर की समस्या को दुरुस्त करने और नदी नालों और कुओं की सफाई कर जल संरक्षित करने के लिए वह लोगों को जागरूक करते हैं. यही कारण है कि वीरेन्द्र को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से 2020 में वॉटर हीरो और 2022 यानी इसी वर्ष भारत सरकार द्वारा जल प्रहरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.


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लोग भी बढ़-चढ़कर वीरेंद्र का दे रहे हैं साथ


पर्यावरण और वन्य प्राणियों के प्रति वीरेन्द्र के लगाव को देखकर देवरी गांव के रहने वाले शुभम साहू भी प्रभावित हुए और उन्हीं को अपना प्रेरणाश्रोत मानकर पर्यावरण संरक्षण के कार्य में जुट गये. जब दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों की हवाएं दूषित हो रही थीं तब वीरेंद्र और शुभम ने बालोद से लेकर रायपुर और नागपुर में प्लास्टिक डिब्बों में पौधे रख ऑक्सीजन सिलेंडर का रूप धरकर भ्रमण किया और ऑक्सीजन के महत्व को जन-जन तक पहुंचाया. 




कई तरीकों से पर्यावरण बचाने का संदेश देते हैं वीरेन्द्र


वीरेन्द्र के इस कार्य को देखकर पूरे छत्तीसगढ़ के 2 लाख से ज्यादा छात्र उनके साथ पर्यावरण संरक्षण के कार्य में जुट गये हैं. पेड़ों की कटाई रोकने के लिए कभी भगवान वाले पोस्टर पेड़ों में चिपकाकर तो कभी सदबुद्धि यज्ञ कराकर और पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है.


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