Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लगाए गए उपकरण के बाद भी शुरू नहीं हो सका है. आलम यह है कि आज भी ड्रेनेज से बहने वाले केमिकल युक्त पानी पूर्व की भांति ही अस्पताल से बाहर छोड़ा जाता है जो मवेशियों के लिए काफी हानिकारक है. हैरानी की बात यह है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भवन सहित कई उपकरण लगाए हुए साल भर होने को है बावजूद इसके आज तक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट शुरू नहीं हो सका. जिससे अब वाटर ट्रीटमेंट प्लांट केवल अस्पताल का शोभा बढ़ा रही है.


मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जिस तरह से कुछ साल के भीतर संसाधनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. उसी तरह से अस्पताल में मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. अस्पताल में लगाए गए अत्याधुनिक उपकरणों का लाभ मरीजों को मिल रहा है. हर रोज बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीज दाखिल होते है जिनका उपचार अस्पताल के विभिन्न वार्डो में की जाती है. उपचार व जांच के दौरान मरीजों को लगाए जाने वाले केमिकल दवा अस्पताल के ड्रेनेज के माध्यम से पानी के साथ बाहर बहा दिया जाता है. ऐसे में केमिकल युक्त गंदा पानी अस्पताल के बाहर नाली के माध्यम से बहने से मवेशियों के लिए भी घातक साबित हो सकता है. 


केमिकल युक्त पानी से मवेशियों को नुकसान


केमिकल युक्त पानी से किसी को नुकसान न पहुंचे इसके मद्देनजर अस्पताल प्रबंधन द्वारा नेत्र विभाग के बगल में खाली जगह पर पिछले वर्ष अक्टूबर माह से पूर्व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए जगह का चिन्हांकन किया और अक्टूबर माह में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का भवन व उपकरण लगा दिया गया. हालांकि कुछ छोटे काम बाकी थे. जिससे अक्टूबर माह के अंतिम दिन तक पूरा कर लेने की बात कही गई थी. हैरानी की बात यह है कि उपकरण लगाए लगभग साल भर होने को है बावजूद इसके आज तक मेडिकल कॉलेज अस्पताल का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट शुरू नहीं हो सकी. ऐसे में आज भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ड्रेनेज से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी पूर्व की भांति ही अस्पताल परिसर से बाहर बहाया जा रहा है जो मवेशियों के लिए काफी खतरनाक है.


टैंक में क्षमता से अधिक पानी


वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए बनाई गई टंकी में क्षमता से अधिक पानी पहुंचने से प्रबंधन की परेशानी बढ़ा दी है. टंकी में लगाए गए समर्सिबल पंप से फिल्टर प्लांट के टैंक में पहुंचता है उससे अधिक पुनः टंकी में पानी एकत्र हो जाती है. जिससे केमिकल युक्त पानी को फिल्टर करने में काफी परेशानी होती है. ऐसे में फिल्टर होने से पहले ही टंकी से केमिकल युक्त गंदा पानी ओवर प्लोव होकर बहने लगती है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपकरणों की पुनः मरम्मत कराने की बात कही गई थी परंतु आज तक मरम्मत नहीं हो सकी.


सिंचाई में होगा पानी का उपयोग


केमिकल युक्त पानी के फिल्टर हो जाने पर उसका उपयोग अस्पताल के गार्डन में सिंचाई के लिए भी उपयोग हो सकता था. हालांकि अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस प्रकार की कोई योजना नहीं बनाई है, लेकिन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के शुरू होने से साफ पानी बाहर जाने पर मवेशियों के लिए पीने योग्य पानी मिल सकता था. जिससे मवेशियों को किसी प्रकार का खतरा नहीं होता.


जांच कराई जाएगी


अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी आर्या ने बताया कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट कुछ माह पूर्व शुरू कराई गई थी और शिफ्ट के अनुसार शुरू किया जाता है. किस कारण से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद है इसकी जांच कराई जाएगी.


ये भी पढ़ें: Chhattisgarh: घान घोटाले में ED का बड़ा खुलासा, 175 करोड़ रुपए के रिश्वत का आरोप, जानें कैसे होता था पूरा खेल