Raipur News: देशभर के कई राज्यों में इन दिनों शासकीय कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) फिर से लागू करने की मांग कर रहे है. राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है. इसके बाद अब छत्तीसगढ़ के शासकीय कर्मचारियों ने अपनी मांग तेज कर दी है. आखिर नई पेंशन योजना से क्यों खुश नहीं है सरकारी कर्मचारी आज इसी को समझते है.


दरअसल, अटल बिहारी वाजपाई की सरकार में 1 नवंबर 2004 से पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी गई है. जिससे देशभर के शासकीय कर्मचारी प्रभावित हुए है और इसमें छत्तीसगढ़ के 4 लाख से अधिक शासकीय कर्मचारी भी शामिल है. कर्मचारियों ने नई पेंशन योजना को जी का जंजाल बताया है.


नए पेंशन स्कीम का विरोध क्यों
नए पेंशन योजना के तहत हर महीने एक निश्चित राशि जमा किया जाता है. रिटायर होने पर कुल रकम का 60 फीसदी एकमुश्त राशि निकल सकते है लेकिन 40 प्रतिशत रकम बीमा कंपनी का एन्युटी प्लान खरीदना होता है. जिसपर मिलने वाले ब्याज की राशि हर महीने पेंशन के रूप में दी जाती है.


इसी प्रक्रिया का शासकीय कर्मचारी विरोध कर रहे है. छत्तीसगढ़ के कर्मचारी नेता विजय झा ने बताया कि, नए पेंशन स्कीम से पेंशन लेने लेने के लिए जिदंगी निकाला जाएगा लेकिन पैसे नहीं मिलेगा. भारत का संविधान कहता है की कानून के प्रति समानता का अधिकार. यदि 2004 के बाद से पेंशन नहीं मिल रहा है तो 2004 के बाद से बने सांसद ,विधायक ,केंद्रीय मंत्री उनका भी पेंशन रोकना चाहिए. एक देश एक कानून कहा जाता है लेकिन एक देश एक पेंशन क्यों नहीं दिया जाता.


पूराने पेंशन योजना से क्या लाभ
दरअसल शासकीय कर्मचारियों को नौकरी से रिटायरमेंट के अंतिम महीने में जितनी सैलरी मिलती है. उसका 50 प्रतिशत रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलता है. अगर कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसकी पत्नी को पेंशन मिलता है. छत्तीसगढ़ में शासकीय कर्मचारियों की संख्या की बात की जाए तो राज्य में 4 लाख 87 हजार कर्मचारी है. अगर किसी कर्मचारी की आखिरी वेतन 50 हजार है तो उसे रिटायरमेंट के बाद 25 हजार रुपए पेंशन मिलेगा. 


सीएम भूपेश बघेल ने दिए संकेत
हाल ही में राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की पहल कर दी है. तो इससे छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन बहाल होने की संभावनाओं की चर्चा तेज हो गई है. सीएम भूपेश बघेल ने इस मामले पर बीते सप्ताह प्रतिक्रिया दी है. सीएम ने रायपुर एयरपोर्ट में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में इसको बंद किया गया था, अब इसकी मांग की जा रही है. चर्चा में आया है, हम विचार करेंगे.हम किसी को नहीं बोलते नहीं है. देने का काम हम लागतार करते रहे है. हम वित्तिय स्थति का अध्ययन करेंगे जो संभव हो पाएगा वो करेंगे.


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