Chhattisgarh Legislative Assembly: छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक बड़ा फैसला हुआ है. हसदेव जंगल को बचाने के लिए अशासकीय संकल्प विधानसभा में पारित किया गया है. अशासकीय संकल्प में केंद्र सरकार को हसदेव क्षेत्र के कोयला खदानों के आवंटन को रद्द करने की मांग की गई है. इस संकल्प का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समर्थन किया है. इसके बाद अब हसदेव जंगल में कोयला खदान शुरू होने की कवायद पर ब्रेक लगने जैसी स्थिति हो गई है.


विधानसभा में हसदेव को बचाने के लिए अशासकीय संकल्प पारित
दरअसल, अशासकीय संकल्प को लेकर कांग्रेस विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में 5700 मिलियन टन कोयला का भंडार है. इसमें से केवल 158 मिलियन टन का उत्पादन ही सालाना हो रहा है. इसे बढ़ाकर 500 मिलियन टन सालाना कर भी देंगे तो भी अगले 50 सालों तक केवल 25 हजार मिलियन टन कोयला ही खोद पाएंगे. इसमें से 13 हजार मिलियन टन कोयला का भंडार हसदेव और मांड नदी के कैचमेंट एरिया के आसपास है. इसके आगे उन्होंने विधानसभा में सभी विधायकों को हसदेव जंगल जाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि अगर वहां जाने के बाद आप यह कहें कि इतना खूबसूरत जंगल कट जाना चाहिए तो मैं कहूंगा कि ठीक है कट जाना चाहिए.


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सीएम बोले अनुमति की प्रक्रिया में ग्राम सभा को किया गया दरकिनार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अशासकीय संकल्प का समर्थन करते हुए कहा कि विधानसभा में एक शासकीय संकल्प पारित करके केंद्र सरकार से वनों से जुड़ी एक अधिसूचना को वापस लेने की अनुशंसा की गई है. केंद्र की इस अधिसूचना में वन क्षेत्रों में गैर वन गतिविधियों की अनुमति की प्रक्रिया में ग्राम सभा को दरकिनार कर दिया गया है. इससे वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी और अन्य लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे. आशा है केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ की आवाज सुनेगी.


अब आसान नहीं होगा हसदेव में कोयला खदान खोलना
गौरतलब है की हसदेव अरण्य को बचाने किया लंबे से समय से आंदोलन चल रहा है. वन्य प्रेमी देश विदेश तक इस मुद्दे को उठा रहे है. इसके बाद राज्य सरकार ने हसदेव अरण्य के संरक्षण के लिए सामने आई है. वहीं विधानसभा में कोयला खदान आवंटन को अनुमति निरस्त करने और वन नियम में संशोधन के संबंध में संकल्प केंद्र सरकार को भेजा जाना है. इसके बाद फिलहाल ये माना जा रहा है कि हसदेव अरण्य में नया कोयला खदान खोलना आसान नहीं है.


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