Valentine Day 2022: जब वैलेंटाइन-डे (Valentine Day) आता है तो फूलों की बात भला कौन भूल सकता है. जैसे ही वैलेंटाइन वीक की शुरुआत होती है, फूल याद आने लगते हैं. आधे से ज्यादा बाजार अलग-अलग तरह के फूलों और फूलों से बने गुलदस्तों से गुलजार हो जाते है. इस मौके पर प्रेमी-प्रेमिकाओं के चेहरे पर खुशी तो रहती हैं. फूलों के व्यापारी को भी फायदा होता है.
कहां से आते हैं फूल
जिन फूलों की वजह से जिन्हें खुशी मिलती है, वो फूल कहां से आते है, कितनी मेहनत से उगाते है, कितना फायदा होता है. ये सब जानना जरूरी हो जाता है. आज हम आपको ऐसे ही फूलों के नाम पर क्रांति लाने वाले शख्स के बारे में बताएंगे. जो पहले एकदम गरीब थे फिर फूलों की खेती की शुरुआत की. वर्तमान में एक बड़े फूल व्यवसायी और किसान के रूप में स्थापित हो चुके है.
कौन हैं गोविंद फूलवाले
दरअसल, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) उत्तरी इलाके में पहले फूल पश्चिम बंगाल के कोलकाता से लाए जाते थे. जो कॉफी महंगे होते थे. लोग खरीद नहीं पाते थे लेकिन अब परिस्थियां उससे अलग हैं. अब उत्तरी छत्तीसगढ़ में भी फूल क्रांति आ गयी है. ये फूल क्रांति लाने वाले सूरजपुर जिले के राजेन्द्रनगर में रहने वाले गोविंद विश्वास हैं. जो गरीब परिवार से आते थे. लेकिन आज फूलों की खेती करके अपने परिवार का पालन-पोषण बहुत बेहतर ढंग से कर रहे है. गोविंद विश्वास अब गोविंद फूलवाले के नाम से प्रसिद्ध हो चुके है. क्योंकि फूल के नाम पर क्रांति लाने वाले और उत्तरी छत्तीसगढ़ में पहली बार फूलों की शुरुआत करने वाले गोविंद विश्वास है. जिनके नाम कई प्रशस्ति पत्र, कई इनाम, शासन और अनुसंधान केंद्रों ने दिया है.
क्या बोले गोंविद विश्वास
एबीपी न्यूज़ से चर्चा में गोंविद विश्वास ने बताया कि छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाके यानी सरगुजा संभाग में पहले फूलों की खेती नहीं होती थी. इनका ससुराल पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है. जहां वे गए और चारों तरफ फूल-ही-फूल नजर आए. इसी दौरान इनके मन में ख्याल आया कि कोलकाता में इतनी ज्यादा तादाद में फूलों की खेती हो रही है. लोग इसी से कमाई कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. तो हम भी कोशिश करते हैं. इसके पश्चात गोंविद विश्वास ने सबसे पहले फूलों की एक हजार पौधा लगाने की सोंची. लेकिन शुरुआत में फूल दूर से कैसे लाना है, किस तरह से रखना है. इसकी जानकारी नहीं थी. इसकी वजह से जब वे कोलकाता से गेंदा फूल का एक हजार पौधा अपने घर राजेंद्रनगर ला रहे थे. घर पहुंचने से पहले 865 पौधा सड़-गल कर खराब हो गए. सिर्फ 135 पौधे ठीक बचे और उन्ही पौधों को लगाया. इससे गोविंद विश्वास को 16-17 हजार रुपये का आमदंनी हुआ.
कितनी होती है कमाई
गोविंद विश्वास फूलों की खेती से पहले साग-भाजी की खेती करते थे. लेकिन जब 135 गेंदा के फूल से 16-17 हजार की आमदंनी हुई. उन्होंने इसे ही रोजगार का जरिया बना लिया और फूलों की खेती ही शुरू कर दी. पहली बार फूलों की जानकारी नहीं होने पर उन्हें 865 पौधे का नुकसान हुआ था. इसके बाद उन्हें फूलों की खेती की जानकारी हुई, कैसे पौधे आना और कैसे एक जगह से दूसरे जगह भेजना है. जिससे पौधे खराब न हो. इन सब की जानकारी हो गई. दूसरी बार में उन्होंने कोलकाता से 10 हजार पौधे लाए. उस बार से इनके फूलों के कारोबार ने लाइन पकड़ ली. गोविंद विश्वास हर साल अब हर साल फूलों की खेती करके पांच से सात लाख सालाना कमा लेते है.
कहां होती है खेती
गेंदा फूल से खेती की शुरुआत करने वाले गोविंद अब गेंदा के अलावा फूलों की अन्य वेरायटी ग्लेडियस, चेरी, चिना-चेरी और अन्य कई तरह की फूल उगाते है. जिनकी मार्केट में अच्छी डिमांड है. शादी, विवाह, पार्टी, घर उद्घाटन इत्यादि समारोहों में इनके फूल बिक जाते है. गोविंद विश्वास बताते है कि इनके फूलों की डिमांड सरगुजा संभाग के पांच जिलो के अलावा बिलासपुर, रायपुर, कोरबा, रायगढ़, पेंड्रा और मनेन्द्रगढ़ के अलावा अन्य प्रदेशों में भी है. गौरतलब है कि फूलों की खेती की शुरुआत करने से पहले गोविंद के पास मिट्टी का घर था. पहले सायकिल में चलते थे. लेकिन फूलों की खेती और उससे होने वाले फायदे ने उनके हालात बदल दिए. अब फूलवाले के नाम से मशहूर गोविंद के पास पक्के का मकान है, मोटरसाइकिल है. खुशी-खुशी जीवन यापन कर रहे है.
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