Raipur News: जून 2022 में छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से ये दावा किया गया था कि राज्य में नक्सल प्रभावित गांवों की संख्या में भारी गिरावट आई है. सरकार के मुताबिक, 2019 से पहले राज्य में कुल 2710 प्रभावित गांव थे, जिनमें से 589 को अब लाल आतंक के प्रभाव से मुक्त कर लिया गया है. इन नक्सल मुक्त गांवों में सुकमा के 121, दंतेवाड़ा के 118, बीजापुर के 115, कांकेर के 92, बस्तर के 63, नारायणपुर के 48 और कोंडागांव जिले के 32 गांव शामिल हैं.
सरकार अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपनी विकास योजनाओं और नीतियों को देती है. इससे पहले 2018 के विधान सभा चुनाव से पहले भी राज्य की तब की रमन सरकार ने वर्ष 2022 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करवा लेने का लक्षित दावा किया था. रमन सरकार के इस दावे में केंद्र सरकार की भी सहमति थी. इन तमाम दावों प्रतिदावों के बाद भी राज्य से रह-रह कर नक्सल हिंसा की खबरें आती रही हैं. 26 अप्रैल 2023 को नक्सली हमले में हुई 10 जवानों की शहादत के बाद सरकारों के इन दावों पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं.
दो साल में 1589 नक्सलियों ने किया सरेंडर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2018 से 2021 तक कुल 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. सरकार के मुताबिक 2018 से पहले लगभग हर साल सुरक्षाबल और नक्सलियों में लगभग 200 मुठभेड़ हुआ करते थे जो 2021 में घटकर 81 और 2022 में 41 तक आ चुके हैं. इन तमाम दावों और आंकड़ों के बावजूद, आए दिन नक्सलियों के हमले हमें सोचने को मजबूर कर रहे हैं. मार्च-2017 में सुकमा 12 सीआरपीएफ के जवान शहीद हुए, एक महीने के बाद अप्रैल में फिर से सुकमा में ही सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हुए, मार्च 2020 में सुकमा में 17 जवान शहीद हो गए, अप्रैल 2021 में जवानों के बस पर हमले में 5 जवान शहीद हो गए, अप्रैल महीने में ही बीजापुर हमले में 22 जवान शहीद हो गए. इस तरह के हमलों में 2018 से अभी तक 1000 के आसपास सुरक्षा बल और आम नागरिकों को जान गवानी पड़ी.
गृहमंत्री अमित शाह ने भी किया था बस्तर का दौरा
गत मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ स्थापना दिवस पर नक्सलगढ़ के रूप में कुख्यात छत्तीसगढ़ के बस्तर का दौरा किया था. देश के बड़े नेताओं का प्रभावित क्षेत्र में इस तरह का दौरा आम नागरिकों और सुरक्षा बल में सकारत्मकता का संचार करता है. केंद्र और राज्य सरकारें नक्सलियों की शक्ति क्षीण होने का लगातार दावा कर रही है. अभी 26 अप्रैल के हमले को भी मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने नक्सलियों के अस्तित्व संघर्ष बताया. बहुत संभव है सरकार के इन आंकड़ों और दावों में सच्चाई हो, किंतु नक्सलियों द्वारा किये गए हर हमले में शहीदों की संख्या दहाई अंक को पार कर जाना सुरक्षा रणनीति को और भी सुदृढ़ किये जाने की ओर संकेत करता है.