Mukhyamantri Vriksh Sampada Yojana: छत्तीसगढ़ में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’’ लागू की गई है. वन विभाग द्वारा अब तक 20 हजार 296 हितग्राहियों के 31 हजार 100 एकड़ निजी भूमि में वृक्षारोपण के लिए रजिस्टर किया है. सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर लागू की गई इस योजना के तहत, किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से किसानों की सहमति पर उनके भूमि पर वाणिज्यिक वृक्षारोपण किया जाना है. 


वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना में किसानों द्वारा विशेष रूचि दिखाई जा रही है. राज्य में इस योजना के तहत अब तक 20 हजार से अधिक कृषकों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है. लेकिन 23 हजार से अधिक हितग्राहियों द्वारा लगभग 36 हजार एकड़ निजी भूमि में मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना अंतर्गत वृक्षारोपण के लिए सहमति दी गई है. 


मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना अंतर्गत अब तक रजिस्टर्ड रकबा में टिशू कल्चर सागौन के लिए 2 हजार 600 एकड़, साधारण सागौन- 5 हजार एकड़ और टिशू कल्चर बांस के लिए 600 एकड़ शामिल है. इसके अलावा साधारण बांस- 700 एकड़, क्लोनल नीलगिरी- 18000 एकड़, चंदन- 1300 एकड़, मिलिया डूबिया- 825 एकड़ सम्मिलित है.


मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के लिए ये है पात्रता


छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी. श्रीनिवास राव ने बताया कि मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजनांतर्गत राज्य में इस वर्ष विभिन्न प्रकार के प्रजाति के वृक्ष का 30 हजार एकड़ से अधिक रकबे में रोपण किया जाएगा. मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना अंतर्गत समस्त वर्ग के सभी इच्छुक भूमि स्वामी पात्र होंगे. इसके अलावा शासकीय, अर्धशासकीय और शासन के स्वायत्व संस्थान जो अपने स्वयं के भूमि पर रोपण करना चाहते हैं, वे भी पात्र होंगे. इसी तरह निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाएं, पंचायतें, भूमि अनुबंध धारक, जो अपने भूमि में रोपण करना चाहते हैं, वे भी पात्र होंगे. 


योजना का उद्देश्य है वाणिज्य वृक्षारोपण को बढ़ावा देना


मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है. इसके तहत राज्य के सभी किसानों, शासकीय, गैर शासकीय, अर्धशासकीय, पंचायतें, और स्वायत्व संस्थानों की भूमि पर वाणिज्यिक प्रजातियों के वृक्षारोपण के बाद, सहयोगी संस्था, निजी कंपनियों के माध्यम से निर्धारित समर्थन मूल्य पर वनोपज के बेचने की व्यवस्था करते हुए एक सुदृढ़ बाजार व्यवस्था आदि सुनिश्चित करना है.


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