Chhattisgarh News: एक से तीन लाख तक की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में स्वच्छता में देश में नंबर वन छत्तीसगढ़ का अम्बिकापुर (Ambikapur) अब स्वच्छता के प्रति बरती जा रही लापरवाही के चलते अपनी पहचान खोते जा रहा है. पिछले कई सालों से स्वच्छता का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करते आ रहे नगर निगम अम्बिकापुर की देश भर में पहचान स्वच्छ शहर के रूप में बनी हुई है. अम्बिकापुर के डोर टू डोर कचरा उठाव के साथ कचरा प्रबंधन मॉडल का अध्ययन करने के लिए अभी तक देश के विभिन्न राज्यों की टीम आ चुकी है. साथ ही भारत सरकार ने भी अम्बिकापुर के स्वच्छता मॉडल को बेहतर बताया है.


हाल ही में मणिपुर, नागालैंड, उतराखंड, उड़ीसा, कोलकता, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों की 10-10 सदस्यीय टीम अम्बिकापुर में कचरा प्रबंधन तकनीक का अध्ययन करने के लिए आ चुकी है. दूसरे राज्यों से आने वाले लोग मन में अम्बिकापुर के प्रति स्वच्छता को लेकर अच्छी छवि लेकर आते है, मगर मौजूदा समय में लोगों में सड़क पर कचरा फेंकेने की बढ़ती प्रवृति से उन्हें निराशा भी होती है.


पॉलीथीन कैरीबैग का भी हो रहा धडल्ले से उपयोग 


अम्बिकापुर शहर में निगम प्रशासन के द्वारा स्वच्छता और पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर अमानक पॉलीथिन कैरीबैग के भड़ारण, बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. मगर पर्यावरण विभाग के साथ निगम के द्वारा इस ओर नियमित कारवाई नहीं किये जाने से इस पर रोक नहीं लग पा रही है. शहर में फल ठेले से लेकर किराना दुकानों सहित अन्य प्रतिष्ठानों में भी अमानक पॉलीथिन में ग्राहकों को समान दिये जा रहे हैं. कचरे के ढेर में पॉलीथीन कैरीबैग बड़े पैमाने पर नजर आ रहे हैं. साथ ही भोजन की तलाश में आवारा मवेशी कचरे के ढेर में इन पॉलीथीन-कैरीबैग का सेवन कर बीमार भी पड़ रहे हैं.


यूजर चार्ज देने में भी कई लोग करते है आनाकानी


अम्बिकापुर शहर में डोर-टू-डोर कचरा उठाव के लिए स्वच्छता दीदियों के द्वारा प्रतिदिन वार्डों का भ्रमण किया जाता है. ये घर-घर से कचरा उठा कर शहर की स्वच्छता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, मगर कई लोगों के द्वारा कचरा उठाव के बदले यूजर चार्ज देने में भी आनाकानी की जा रही है. इससे यूजर चार्ज का बकाया राशि भी बढ़ रहा है. बताया जा रहा है कि यूजर चार्ज नहीं देने वालों में किरायदारों की संख्या सर्वाधिक है.


नालियों की सफाई में भी बरत रहे कोताही


निगम प्रशासन के द्वारा नालियों की नियमित सफाई के प्रति भी लापरवाही बरती जा रही है. सत्तीपारा, चौपाटी, आकाशवाणी चौक, खैरबार मार्ग, गंगापुर, बाबुपारा अटल- आवास, केदारपुर, गांधी चौक सहित अन्य इलाकों की नालियां मलबे और कचरे से जाम हो गई हैं. जाम नालियां मच्छर सहित अन्य रोगाणुओं के प्रजजन का केंद्र बन लोगों का स्वास्थ्य बिगाड़ रही हैं. नागरिकों का कहना है कि निगम के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कई बार अवगत कराने के बाद भी सफाई के प्रति कोताही बरती जा रही है.


जुर्माने का प्रावधान बना, पालन कराना भूले


निगम के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के द्वारा शहर की स्वच्छ छवि को बरकरार रखने के लिए खुले में कचारा फेंकेने पर प्रतिबंध लगाते हुए जुर्माना का प्रावधान किया गया है. शुरूआत में निगम द्वारा इस ओर नियमित कारवाई किये जाने के चलते लोगों की आदत में भी सुधार हो रहा था. शहर की लगभग 90 फीसदी आबादी ने डस्टबीन में कचरा रखना शुरू कर दिया था. मौजूदा समय में निगम प्रशासन के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिये जाने के कारण अधिकांश लोगों के द्वारा फिर से सड़क पर कचरा फेंकना शुरू कर दिया गया है, जिससे शहर की दुदर्शा हो रही है.



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