Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर 121 नगरीय निकायों में लगाए जाएंगे पौधे, सीएम भूपेश बघेल ने वन विभाग को दिए ये निर्देश
Janmashtami 2022 Puja: छत्तीसगढ़ में कृष्ण जन्माष्टमी पर 121 नगरीय निकायों में पौधरोपण किया जाएगा. सीएम भूपेश बघेल ने वन विभाग को इस बाबत जरूरी निर्देश दिए हैं.
Krishna Kunj Scheme Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाई जा रही कृष्ण कुंज योजना के तहत इस बार जन्माष्टमी पर छत्तीसगढ़ के 121 नगरी निकाय क्षेत्र में पौधे लगाए जाएंगे. इसके साथ ही लोग पौधों को गोद भी ले सकते हैं. इसके लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. कृष्ण कुंज योजना के तहत बरगद,पीपल, नीम,कदम और फलदार पौधे लगाए जाएंगे.
कृष्ण जन्माष्टमी पर किया जाएगा पौधारोपण
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय क्षेत्रों में ’कृष्ण कुंज’ विकसित किए जाएंगे. कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, नीम और कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के जीवनोपयोगी पौधों का रोपण किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को ’कृष्ण कुंज’ विकसित करने के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आबंटन करने के निर्देश दिए हैं. अब तक राज्य के 121 स्थलों को ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिन्हांकित कर लिया गया है. पौधरोपण की तैयारी भी बड़ी उत्साह के साथ की जा रही है. इस कृष्ण जन्माष्टमी से पूरे राज्य में ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिन्हित स्थल पर पौधरोपण की शुरुआत की जाएगी.
लोग ले सकते हैं पौधों को गोद
कृष्ण कुंज योजना के तहत जनता पौधों को गोद भी ले सकते हैं इसके लिए प्रशासन ने वेबसाइट भी बनाया है. इसके लिए निर्धारित राशि देनी होगी. इस पहल के माध्यम से हर नागरिक पर्यावरण को बढ़ावा देने अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है. इनके पेड़ों की सुरक्षा और देखभाल कृष्ण कुंज में लगा सुरक्षा दस्ता करेगा.
मुख्यमंत्री ने दी ये बड़ी जानकारी
मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने ‘कृष्ण-कुंज’योजना के उद्देश्यों को लेकर कहा कि वृक्षारोपण को जन-जन से जोड़ने, अपने सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और उन्हें विशिष्ट पहचान देने के लिए इसका नाम ‘कृष्ण-कुंज’ रखा गया है. विगत वर्षों में शहरीकरण की वजह से हो रही अंधाधुंध पेड़ों की कटाई से इन पेड़ों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है. आने वाली पीढ़ियों को इन पेड़ों के महत्व से जोड़ने के लिए ‘कृष्ण-कुंज’ की पहल की जा रही है.
पेड़ों को बचाने का किया जा रहा प्रयास
सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ का हर एक पर्व प्रकृति और आदिम संस्कृति से जुड़ा हुआ है. इनके संरक्षण के लिए ही यहां के तीज-त्यौहारों को आम लोगों से जोड़ा गया और अब ‘कृष्ण-कुंज’ योजना के माध्यम से इन सांस्कृतिक महत्व के पेड़ों को सहेजने की अच्छी पहल हो रही है. जो आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर कल की ओर ले जाएगी और एक नए छत्तीसगढ़ के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएगी.
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