छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के मस्तूरी इटवा पाली स्थित प्राचीन भंवर गणेशजी के मंदिर में घुसकर बेशकीमती मूर्ति लूटने वाले चार डकैत आखिरकार साढ़े 3 माह बाद पुलिस के हत्थे चढ़ गए. वहीं एक आरोपी अभी भी फरार है. डकैतों को पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच की टीम खुद मूर्ति खरीददार बनकर पहुंची और दो करोड़ में सौदा तय किया. डकैत पैसों की लालच में आ गए और मूर्ति व चांदी के मुकुट लेकर पहुंचे. क्राइम ब्रांच पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर भंवर गणेश की मूर्ति, चांदी के मुकुट के टुकड़े,नकली पिस्टल, सब्बल,दो बाइक और मोबाइल जब्त कर लिए हैं.


जानिए क्या था पूरा मामला


मामले का खुलासा करते हुए बिलासपुर एसएसपी पारुल माथुर ने बताया कि मस्तूरी इटवा पाली में 10वीं सदी की भंवर गणेश की ग्रेनाइट से बनी मूर्ति स्थापित थी साढ़े 3 माह पहले वहां के सेवादार महेश केवट घायल मिला. उसके हाथ पैर रस्सी से बंधे हुए थे. उसके मुंह पर टेप लगा था.




सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची थी ग्रामीणों ने पुलिस को बताया कि देर रात कुछ हथियारबंद लोग वहां पहुंचे और उसे कट्टा दिखाकर पीटने लगे. इसके बाद उसे चाबी लेकर मंदिर में घुस गए उसके हाथ पैर बांध दिए भगवान गणेश की प्रतिमा को उखाड़ा और उसे लेकर भाग गए.
 
पुलिस खुद ग्राहक बनकर पहुंची थी डकैतों के पास, दो करोड़ में हुआ था सौदा तय


मामले को सुलझाने के लिए ACCU और पुलिस की टीम लगी हुई थी. इस बीच पुलिस को स्थानीय स्तर पर सूचना मिली कि आसपास के गांव के कुछ लोग इस मामले में शामिल हैं. पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए खुद मूर्ति खरीदार बनकर डकैतों से प्राचीन गणेशजी की मूर्ति का दो करोड़ में सौदा किया. सौदा तय होने के बाद जैसे ही डकैतों ने प्राचीन मूर्ति और गणेशजी का मुकुट और सारा सामान लेकर पहुंचे वैसे ही पुलिस ने पहले से प्लान बना कर चार डकैतों को धर दबोचा. इसके बाद पुलिस ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है और इन डकैतों के पास से भंवर गणेश की मूर्ति,चांदी के मुकुट के टुकड़े,नकली पिस्टल, सब्बल,दो बाइक और मोबाइल जप्त कर लिए हैं. इस मामले में अभी भी एक आरोपी फरार है जिसकी तलाश पुलिस कर रही है.


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