ED Raid On Congress Leaders: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Elections) होने वाले हैं. इससे पहले राज्य की सबसे मजबूत पार्टी कांग्रेस (Congress) के बड़े नेताओं के यहां ईडी (ED) की रेड पड़ रही है. इससे कांग्रेस नाराज है और लगातार ईडी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. केंद्र सरकार (Central Government) पर ईडी के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. लेकिन क्या इसका असर विधानसभा चुनाव पर होगा? क्या इस रेड से कांग्रेस को बड़ा नुकसान होने वाला है?
दरअसल ईडी की कार्रवाई पिछले साल अक्टूबर महीने से चल रही है. शुरुआत में प्रशासन और कोयला कारोबारी के यहां ईडी ने रेड मारी और इसके बाद ईडी मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुंच गई. अब 4 महीने बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस के बड़े नेताओ के घर ईडी की रेड पड़ी है. इसमें प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, विधायक देवेंद्र यादव,विधायक चंद्रदेव राय, सीनियर प्रवक्ता आरपी सिंह, सनी अग्रवाल और विनोद तिवारी जैसे आधे दर्जन से अधिक नेताओं के घर शामिल हैं जहां ईडी की रेड पड़ी है.
रेड के बाद गरमाई छत्तीसगढ़ की सियासत
कांग्रेस नेताओं के घर पर रेड पड़ने के कारण छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है. बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग भी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के बीच बयानबाजी का सिलसिला शुरू हो गया है. पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रमन सिंह को ईडी आईटी का प्रवक्ता बताया था तो उसके बाद रमन सिंह ने कांग्रेस को जमकर घेरा. उन्होंने कहा है कि 4 साल से कोयले की दलाली खाओगे तो ईडी के छापे नहीं तो क्या भारत रत्न मिलेगा?
रमन सिंह ED और IT के प्रवक्ता है: CM बघेल
ईडी की रेड के बाद कांग्रेस भवन में 7 मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इस दौरान उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रमन पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब-जब छापा पड़ता है, रमन सिंह प्रवक्ता बन जाते हैं. वे ईडी-आईटी के प्रवक्ता बन जाते है. खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे. CM बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के कार्यों से बीजेपी बेचैन है. ईडी किस मामले में जांच कर रही है? अधिवेशन के ठीक पहले जांच का क्या मतलब है? ईडी के प्रेस नोट से पहले रमन सिंह का बयान आ जाता है. बीजेपी ईडी का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग कर रही है.
ईडी की जांच में कांग्रेस के अधिवेशन से कोई लेना देना नहीं
इधर, बीजेपी ने भी सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया है. रमन सिंह ने कहा कि ईडी जांच का मामला है, वह प्रक्रिया का हिस्सा है. इसका कांग्रेस के अधिवेशन से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि 4 साल से कोयले की दलाली खा रहे हो तो ईडी नहीं आएगी तो क्या भारत रत्न आएगा? उन्होंने कहा कि ईडी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कार्रवाई लगातार कर रही है. इसमें बीजेपी और कांग्रेस कहां से आ गई? ईडी भ्रष्टाचार के खिलाफ अधिकारियों पर कार्रवाई कर रही है.
विधानसभा चुनाव पर कितना असर होगा?
छत्तीसगढ़ के सीनियर जर्नलिस्ट बाबूलाल शर्मा की नजरों से रेड के मायने समझने की कोशिश करें तो उन्होंने फायदा और नुकसान का फैसला जनता और कार्यकर्ता के बीच छोड़ा है. उन्होंने कहा कि रेड का जो मैसेज जनता के बीच जाएगा और जनता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को किसान मुख्यमंत्री मानती है और केंद्र सरकार का तरीका गलत लगता है और जनता मान लेती है कि सताया जा रहा है तो इस आधार पर कांग्रेस को फायदा हो सकता है.
वहीं कुछ राजनीतिक पंडितों से बात करने पर कुल मिलाकर ये समझ में आता है कि देखना यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी किसान पुत्र और छत्तीसगढ़िया वाद के छवि के साथ घर-घर तक पहुंचाने में कितना सफल होते है, अगर सफल हुए तो ईडी रेड का नुकसान हो सकता है और सफल हुए तो फायदा भी हो सकता है. ये तस्वीर तब साफ होगी जब विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आएंगे.
ऐसे हो सकता है कांग्रेस को नुकसान
छत्तीसगढ़ के सीनियर जर्नलिस्ट बाबूलाल शर्मा ने ये भी कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले रेड को कांग्रेस के कार्यकर्ता अगर ये मानते हैं कि केंद्र उन्हें टारगेट कर रही है तो कांग्रेस पार्टी में एकता का भाव आएगा. वहीं बीजेपी के लगातार बयान जिसके आधार पर मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचारियों के साथ खड़ा होने का आरोप लगाया जा रहा है, इससे कांग्रेस को नुकसान भी हो सकता है. लेकिन बीजेपी हिंदू -मुस्लिम, आदिवासी-ईसाई की खाई को पाटने की बात करती है, इससे जनता के बीच कंफ्यूजन है. मोहन भागवत के बयान से कंफ्यूजन की स्थिति बनती है इससे जनता कंफ्यूज होती है. तो ऐसे में बीजेपी को भी नुकसान हो सकता है.
नवंबर में हो सकते विधानसभा चुनाव
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में इसी साल नवंबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. देश में कांग्रेस सबसे ज्यादा मजबूत छत्तीसगढ़ में है. 90 विधानसभा सीट में 71 विधायक कांग्रेस के हैं. बाकी 19 बीजेपी, बहुजन समाज पार्टी, और जोगी कांग्रेस के विधायक है. इस लिहाज से कांग्रेस अपने किले को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. वहीं बीजेपी भी छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी के लिए पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है.
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