(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhattisgarh Politics: राष्ट्रपति से मिलीं राज्यपाल अनुसुइया उइके, आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर हुई ये चर्चा
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली में हैं. उन्होंने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मुलाकात की है.
Chhattisgarh Reservation Amendment Bill: छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद पर जमकर सियासत हो रही है. इसी बीच छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके दिल्ली पहुंच गई हैं. राज्यपाल ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की है. इस दौरान राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ के आरक्षण संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति से चर्चा की है. इसपर छत्तीसगढ़ में फिर से सुगबुगाहट तेज हो गई है कि क्या अब आरक्षण विधेयक को अनुसूची 9 में शामिल किया जाएगा.
राज्यपाल ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से की मुलाकात
दरअसल राष्ट्रपति मुर्मू को राज्यपाल उइके ने प्रदेश की अलग अलग एक्टिविटी की जानकारी दी है. राज्यपाल ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को छत्तीसगढ़ आने का न्योता दिया है. राजभवन से मिली जानकारी के अनुसार 12 जनवरी 2023 को रायपुर के शासकीय नागार्जुन कॉलेज के स्थापना के 75वें साल पूरे होनेपर आयोजित ‘हीरक जयंती समारोह’, एमिटी विश्वविद्यालय रायपुर के दीक्षांत समारोह और आदिवासी शिव संस्कृति समिति, जिला-नर्मदापुरम द्वारा 12 से 18 फरवरी 2023 को आयोजित महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया.
जानें क्या कहा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने
इधर, राज्यपाल की राष्ट्रपति से मुलाकात पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा दिया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को रायपुर हेलीपेड में मीडिया से बात करते हुए कहा ''वे गईं हैं (राज्यपाल अनुसुईया उइके) तो उन्हें कहना चाहिए कि अनुसूची 9 में शामिल भी उसे शामिल करें, उन्हें कनविंस करके आएंगी. क्योंकि वे हमारी संवैधानिक प्रमुख हैं इसलिए उनकी जिम्मेदारी भी अधिक है.वे यहां आएंगी हस्ताक्षर करके राष्ट्रपति के पास भेजेंगी ऐसा मैं मानता हूं.''
क्या है 9वीं अनुसूची?
दरअसल 9वीं अनुसूची केंद्र और राज्य कानूनों की एक ऐसी सूची है. जिन्हे कोर्ट के सामने चुनौती नहीं दी जा सकती है. 9वीं अनुसूची में कुल 284 कानून शामिल है, जिन्हें न्यायिक समीक्षा संरक्षण प्राप्त है, यानी इन्हें अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है. अगर 9वीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ में आरक्षण बढ़ाने के संशोधन विधेयक को शामिल किया जाता है, तो विधायक को कोर्ट में चुनौती देने की जरूरत नहीं है.
आरक्षण विधायक पर सरकार और राजभवन में टक्कर
गौरतलब है 19 सितंबर को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे तब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 2 दिसंबर को राज्य में एसटी ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 76 प्रतिशत हो गया. लेकिन राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी है. इसके बाद सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है.
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