Exclusive: छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्यों आ रहे हैं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, पढ़िए इनसाइड स्टोरी
Chhattisgarh Politics: यह दूसरा मौका है जब कोई आरएसएस प्रमुख सरगुजा पहुंच रहे हैं. अंबिकापुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पथ संचलन में शामिल होंगे.
Ambikapur News: आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का सरगुजा संभाग का दौरा कई मायनों में काफी अहम माना जा रहा है. मोहन भागवत इसी महीने की 14 तारीख को सरगुजा (Surguja) संभाग के जशपुर और 15 तारीख को संभाग मुख्यालय अंबिकापुर आ रहे हैं. अंबिकापुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पथ संचलन में शामिल होंगे और संघ की प्रांतीय बैठक में हिस्सा लेंगे. ये दूसरा मौका होगा जब कोई आरएसएस प्रमुख सरगुजा पहुंच रहे हैं. इससे पहले वर्ष 2009 में सुदर्शन यहां आए थे लेकिन अंदर खाने से खबर है कि आरएसएस प्रमुख भागवत का ये दौरा बहुउद्देशीय है. इसे लेकर तैयारियां भी जोरों पर है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 14 तारीख को रांची से जशपुर पहुंचेगें. वहां स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण करके देर शाम तक अंबिकापुर पहुंच जाएंगे. इसके बाद अगले दिन 15 नवंबर को अंबिकापुर में 15 हजार स्वंय सेवकों के साथ पथ संचलन का कार्यक्रम है जिसमें मोहन भागवत शामिल होंगे. इसके बाद संघ प्रमुख संघ की प्रांतीय बैठक में हिस्सा लेंगे. जानकारी के मुताबिक इस बैठक के बाद संघ प्रमुख शहर के सूचीबद्ध बुद्धिजीवी वर्ग से मुलाकात करेंगे जिनमें डॉक्टर, वकील, सीए, साहित्यकार जैसे तमाम लोग शामिल हैं.
बहुउद्देशीय दौरे की चर्चा
आरएसएस को नजदीक से जानने वाले और कुछ राजनैतिक समीक्षकों से चर्चा में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सरगुजा दौरे की कुछ खास वजह सामने आई है. सबसे पहली वजह ये है कि संघ सरगुजा में अपनी शाखाओं का विस्तार करने का प्रयास करेगा, क्योंकि 2025 में संघ के 100 साल पूरे होने वाले हैं. ऐसे में संघ का ये प्रयास रहेगा कि 100 साल पूरा होने तक छत्तीसगढ़ के खासकर आदिवासी इलाके सरगुजा और बस्तर में संघ की शाखाओं का विस्तार हो सके.
इसके बाद अगर दूसरी वजह की बात करें तो प्रदेश की सत्ता में आई कांग्रेस ने प्रदेश के मैदानी इलाकों में किसान हितैषी छवि बनाकर और पिछड़ा वर्ग वाद को फैलाकर ध्रुवीकरण किया है. बीजेपी के पास फिलहाल इसका कोई काट नहीं है. उसको देखते हुए मोहन भागवत का आदिवासी इलाके सरगुजा का दौरा काफी अहम माना जा रहा है. यहां आरएसएस आरक्षण में हुए कटौती और डीलिस्टिंग वाले विरोध के सहारे आदिवासी बाहुल्य इलाके में ध्रुवीकरण का प्रयास करना चाह रही है.
राजनैतिक रूप से बीजेपी को फायदा
बीजेपी के एक नेता ने बताया कि आरएसएस प्रमुख बहुत बड़े आदमी हैं. उनके आने से पूरे इलाके में फर्क पड़ेगा. क्योंकि पहले तो वो बीजेपी के बैकबोन कहे जाने वाले आरएसएस की बैठक लेंगे. उसमें नए विजन और सक्रियता से काम करने की योजना बनेगी. धर्मांतरण, डिलिस्टिंग जैसे अहम मुद्दे पर योजना बनेगी. उन्होंने कहा कि इतने बड़े आदमी के कहने पर लोग तन, मन, धन से योजना के विस्तार में जुड़ जाएंगें. उन्होंने बताया कि श्री भागवत के आने की योजना 5 महीने से बन रही थी. उन्होंने ये भी बताया कि उनके आने से राजनैतिक रूप से बीजेपी की पकड़ और सामाजिक रूप से संघ की पकड़ पूरे इलाके में मजबूत बनेगी.