(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhattisgarh PSC Result: हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने रोकी नियुक्ति, अब कांग्रेस और बीजेपी में सियासत तेज
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और पीएससी को निर्देशित किया है कि वे जो सूची याचिकाकर्ता के द्वारा पेश की गई है उसके तथ्यों की सत्यता के संबंध में भी जांच करें.
Chhattisgarh PSC Result Controversy: छत्तीसगढ़ में सरकारी भर्ती करने वाली संवैधानिक संस्था लोक सेवा आयोग के विश्वसनीयता पर बीजेपी ने गंभीर सवाल उठाए है. पीएससी 2021 के रिजल्ट में गड़बड़ी के आरोप के साथ बीजेपी हाईकोर्ट पहुंच गई है और अपनी याचिका 18 लोगों के नाम शामिल किए गए है. जिनकी नियुक्ति पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी का कहना है कि पीएससी के चेयरमैन और कांग्रेसी नेताओं के करीबियों को मेरिट लिस्ट में जगह दी गई है. इसके चलते होनहार बच्चों को नीचे और छोटे पोस्ट दिए गए है. इसपर बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और जांच के निर्देश दिए है.
दरअसल मंगलवार (19 सितंबर) को बिलासपुर हाईकोर्ट में बीजेपी नेता ननकी राम कंवर की तरफ से लगाई गई याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई तो कोर्ट ने 18 लोगों की नियुक्ति पर हैरानी जताई है. इसे गलत बताकर नियुक्ति रोकने का आदेश दे दिया है. इसका पालन करते हुए राज्य सरकार ने भी अगले दिन बुधवार (20 सितंबर) को जिन अभ्यर्थियों पर आरोप लगे है उनकी नियुक्ति अगली सुनवाई तक रोक दी है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि अगली सुनवाई नहीं हो जाती तब तक इस विषय को बढ़ावा न देकर जिन व्यक्तियों पर आरोप लगा है और उनकी नियुक्ति नहीं हुई है, उसको आगे अंतिम रूप नहीं दिया जायेगा. जिनकी नियुक्तियां हो चुकी है वह यथा स्थिति न्यायालय के आदेश के अधीन रहेगी.
एक सप्ताह बाद होगी पीएससी रिजल्ट गड़बड़ी में सुनवाई
पीएससी में कथित घोटाले के आरोप पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि इस मामले में अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी. कोर्ट ने राज्य सरकार और पीएससी को निर्देशित किया है कि वे जो सूची याचिकाकर्ता के द्वारा पेश की गई है उसके तथ्यों की सत्यता के संबंध में भी जांच करें. इसके साथ याचिकाकर्ता को भी निर्देशित किया गया है कि वह चयनित व्यक्तियों को पक्षकार बनाये और अपनी याचिका में निर्धारित संशोधन कर पेश करें और सचेत करते हुए ये भी कहा गया है कि अगर याचिकाकर्ता की जानकारी गलत पाई गई तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही की जाएगी.
कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी और कांग्रेस में बयानबाजी
बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले पर छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने बयान जारी कर कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा है. हाईकोर्ट के फैसले को राज्य सरकार के गाल पर जोरदार तमाचा बताया है. वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस मामले जांच कराने की बात कहते हुए बीजेपी पर निशाना साधा है. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि कोर्ट के आदेश का हम पालन करेंगे. 2003 में इन्हीं (BJP) के शासन काल में पीएससी भर्ती हुआ था 2016 में फैसला आया की मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी हुई है. वर्षा डोंगरे के केस में सरकार सुप्रीम कोर्ट गई आज तक फैसला अपेक्षित है. अभी कोर्ट कोई भी डायरेक्शन देती है हम कार्रवाई करेंगे.
बीजेपी ने इन लोगों के नियुक्ति पर उठाए है सवाल
कोर्ट में पेश आरोप पत्र के मुताबिक चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के पांच रिश्तेदारों की नियुक्ति सूची सौंपी गई है. इसमें बेटे नितेश की डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई है. रिजल्ट में सरनेम छुपाया गया था. उनकी बहू निशा कोशले का भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ है.उनके बड़े भाई के बेटे साहिल का चयन डीएसपी के पद पर हुआ है. इनका भी चयन सूची में सरनेम नहीं लिखा गया था. इसके भाई की बहु दीपा अजगले की नियुक्ति जिला आबकारी और बहन की बेटी सुनीता जोशी को श्रम अधिकारी बनाया गया है.इसी तरह राज्यपाल के सचिव अमृत खलको की बेटी नेहा खलको को डिप्टी कलेक्टर, उनके बेटे निखिल खलको को भी डिप्टी कलेक्टर का बाद मिला है.
कांग्रेस नेता के ओ एस डी के रिश्तेदार की बेटी प्रज्ञा नायक डिप्टी कलेक्टर और बेटे प्रखर नायक को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है. कांग्रेस के नेता सुधीर कटियार के दामाद शशांक गोयल और बहु भूमिका कटियार को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति दी गई है.इसके अलावा कांग्रेस नेता के ओ एस डी के साढू भाई की बेटी खुशबू बिजौरी को डिप्टी कलेक्टर के पद में चयनित किया गया है. कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम शुक्ला डिप्टी कलेक्टर का पद मिला है. इन सभी नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट बीजेपी ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है.
पीएससी 2021 के रिजल्ट पर विवाद जारी
गौरतलब है कि पिछले महीने पीएससी 2021 का अंतिम परिणाम 11 मई को जारी हुआ. इसमें 171 पदों पर पीएससी ने भर्ती की है और इसमें से 15 लोगों का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ है. लेकिन मेरिट लिस्ट में पीएससी चेयरमैन के रिश्तेदारों और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के करीबियों को जगह मिली. इसके बाद से विवाद शुरू हो गया है. बीजेपी ने दावा किया है कि साल 2019 - साल 2023 तक छत्तीसगढ़ की सभी भर्तियां विवादित रही है. इसके बाद से अब लोक सेवा आयोग आरोपों के घेरे में है. लेकिन इसके राजनीतिक मायने भी अहम है क्योंकि कुछ महीने बाद छत्तीसगढ़ में चुनाव है और बीजेपी कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप में घेरकर सत्ता वापसी की कोशिश में जुट गई है.
ये भी पढ़ें: Chhattisgarh: सरगुजा में महतारी एक्सप्रेस एम्बुलेंस के चालक हड़ताल पर, गर्भवती महिलाओं को परेशानी