Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में खरीफ के बाद रबी सीजन में भी खाद की किल्लत जारी है. सरकारी सोसायटियों में किसानों को खाद नहीं मिल रहा है. निजी बिक्रेता खाद को कई गुना अधिक दाम में खाद बेच रहे हैं. इससे किसानों की परेशानी भी कई गुना बढ़ गई. फसल उत्पादन पर भी खाद की किल्लत का प्रभाव पड़ेगा.


निजी दुकानों में खाद के दाम सातवें आसमान पर


दरअसल खरीफ सीजन से ही छत्तीसगढ़ के किसान खाद की किल्लत जूझ रहे हैं. अब रबी फसल में भी खाद नहीं मिलने से किसानों ने सरकार से खाद के लिए गुहार लगाई है. किसान तेजराम साहू ने बताया कि सरकारी सोसायटी में डीएपी यूरिया नहीं है. निजी दुकानदार कालाबाजारी कर रही हैं. यूरिया का सरकारी दाम 266 रुपए है लेकिन बाजार में यूरिया 700 से 900 रुपए तक बिक रहा है. इसी तरह 1200 का डीएपी अब 1800 से 2000 रुपए तक बिक रहा है. यूरिया के दाम 500 से 600 रुपए बढ़ गए हैं वहीं डीएपी 600 से 800 रुपए बढ़ गए हैं.


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फसल का लागत उत्पादन से ज्यादा बढ़ा


किसान तेजराम साहू ने बताया कि इससे अब फसल की लागत उत्पादन से कहीं ज्यादा हो जाएगी. यानी जितने का फसल नहीं है उससे ज्यादा फसल के उत्पादन के लिए खर्च करना पड़ रहा है. अगर एक एकड़ में धान की खेती है तो दो बोरी यूरिया और दो बोरी डीएपी डालना पड़ता है इसके लिए पहले की तुलना में 2500 से 3 हजार अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं. अगर खाद नहीं डालेंगे तो फसल का उत्पादन प्रभावित होगा ऐसे में अब क्या करें?


खाद किल्लत पर सियासत


इधर, खाद की किल्लत पर बीजेपी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार खाद की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के बजाए खानापूर्ति में लगी हुई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अधिकारी दुकानदारों से अवैध वसूली में मस्त हैं, मुख्यमंत्री किसानों की समस्या सुलझाने के बजाय अपने 'आकाओं' को खुश करने उत्तर प्रदेश चुनाव में व्यस्त हैं. वहीं बीजेपी के आरोप पर सीएम भूपेश बघेल ने पलटवार किया है. रायपुर हेलीपेड में मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम ने कहा कि भारत सरकार जनता को ऑक्सीजन नहीं दे पा रही है. तो खाद बीज क्या देगी? हम तो चाहते हैं कि भाजपा प्रदर्शन करे हम उनका स्वागत करेंगे और वे दिल्ली सरकार से मांग करे कि खाद बीज उपलब्ध करवाए.


भारत सरकार ने 45 फीसदी कटौती की है


वहीं कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन ने भारत सरकार से रबी वर्ष 2021-22 के लिए 7.50 लाख मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों की मांग की गई थी. लेकिन भारत सरकार ने 4.11 लाख मेट्रिक टन उर्वरक छत्तीसगढ़ को दिए जाने की स्वीकृति दी गई, जो कि राज्य की मांग का मात्र 55 प्रतिशत ही है. छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा मांग किए गए उर्वरक की मात्रा में पहले ही भारत सरकार द्वारा 45 प्रतिशत की कमी कर दी गई है.


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