Raipur News: मानसून की विदाई के साथ अब हल्की ठंड ने दस्तक दे दी है. 21 अक्टूबर से मॉनसून की पूरे छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) से विदाई हो चुकी है. इस बार छत्तीसगढ़ में 131 दिन तक मॉनसून रहा. इस साल अनुमान से भी अधिक बारिश से राज्य के सभी बांध लबालब हो गए हैं. यानी राज्य में अगले साल गर्मियों में पानी की किल्लत की समस्या गंभीर नहीं होगी. देश के उत्तर-पश्चिम इलाकों से मानसून विदा हो चुका है. अब शुक्रवार को मानसून ने दक्षिण छत्तीसगढ़ से विदाई ले ली है. यानी बरसात का मौसम खत्म हो गया है और अब ठंड की शुरुआत हो गई है. कई सालों बाद इस बार मानसून में राज्य में अच्छी बारिश हुई है. भारी बारिश के बाद बस्तर से लेकर दुर्ग बिलासपुर तक बाढ़ का खतरा बन गया था.
छत्तीसगढ़ से मॉनसून अक्सर 15 अक्टूबर के आसपास ही विदा हो जाता है लेकिन इस बार औसत से 6 दिन अधिक छत्तीसगढ़ राज्य में सक्रिय रहा है.
चक्रवात से दिवाली पर बारिश के आसार
राज्य से भले ही मॉनसून विदा हो चुका है लेकिन मौसम विभाग ने दिवाली पर फिर से बारिश की संभावना जताई है. रायपुर मौसम विभाग के विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया कि बंगाल की खड़ी में उठे चक्रवाती तूफान सितरंग के असर से दिवाली पर बदल छाए रहने की संभावना है. पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी और उससे लगे पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर 24 अक्टूबर को चक्रवात के रूप में परिवर्तित होने की संभावना है. इसके बाद इसके उत्तर-उत्तर-पूर्व की ओर आगे बढ़ते हुए पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के पास 25 अक्टूबर को ओड़िशा तट से टकराने की संभावना है. इसके कारण प्रदेश के कुछ हिस्सों में 24-26 अक्टूबर तक बादल रहने और न्यूनतम तापमान में वृद्धि होने की प्रबल संभावना है.
भारी बारिश से बांधों में भरा लबालब पानी
गौरतलब है कि इस साल छत्तीसगढ़ में 17 जून को मानसून ने दस्तक दे दी थी. इससे कुछ दिन पहले बस्तर संभाग में मॉनसून की बारिश शुरू हो गई थी और 16 अक्टूबर तक प्रदेश के अलग-अलग हिस्से में बारिश होती रही. इसके चलते राज्य की 12 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में शामिल सिकासार, खारंग और मनियारी जलाशय आज की स्थिति में लबालब हैं. मिनीमाता बांगो में 84.5 प्रतिशत और रविशंकर गंगरेल बांध में 93.35 प्रतिशत जलभराव है. वहीं तांदुला जलाशय में 93.64 प्रतिशत जलभराव है. कांकेर स्थित दुधावा और धमतरी जिले का मॉडल सिल्ली बांध भी लबालब होने की स्थिति में है.
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