Chhattisgarh Ram Van Gaman Path: छत्तीसगढ़ में भगवान राम (Lord Rama) के पदचिन्हों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम जारी है. आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) रायपुर जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल चंपारण (Champaran) में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत निर्माण कार्याें का लोकार्पण करेंगे. इसको लेकर सरकार की तरफ से बड़ी तैयारी की गई है. इसके अलावा रामायण महोत्सव (Ramayan festival) का भी आयोजन किया गया है. इसमें हनुमान चालीसा (Hunuman chalisa) का पाठ किया जाएगा साथ ही छत्तीसगढ़ और मुंबई के फेमस गायक भी इसमें शामिल होंगे.


दरअसल, राजधानी रायपुर से 40 किलोमीटर दूर चंपारण के श्री चम्पेश्वरनाथ महादेव मंदिर परिसर में कार्यक्रम का आयोजन होगा. इसमें विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत, डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. साथ ही धार्मिक न्यास और धर्मस्व पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे. इस आयोजन की शुरुआत दोपहर तीन बजे से शुरू हो जाएगा. इसी प्रकार रामायण महोत्सव शासकीय स्कूल ग्राम डगनिया चम्पारण में आयोजित होगा. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त विजेता मानस मंडली की प्रस्तुति, हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ होगा, इसके साथ भिलाई के प्रभंजय चतुर्वेदी राम भजन की प्रस्तुति देंगे और मुंबई की शन्मुख प्रिया की भी इस अवसर पर प्रस्तुति होगी.


चंपारण में भगवान राम की भव्य प्रतिमा का होगा लोकार्पण 


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शाम 5.30 बजे चंपारण पहुंचेंगे और इसके बाद श्री चम्पेश्वरनाथ महादेव मंदिर परिसर में आयोजित समारोह में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के तहत कराए गए निर्माण कार्यों का लोकर्पण करेंगे. वहीं राज्य सरकार की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार चंपारण में 3 करोड़ 58 लाख रुपये की लागत से भगवान राम की प्रतिमा, रामवाटिका, दीप स्तम्भ, भव्य प्रवेश द्वार, रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर, कैफेटेरिया, पर्यटन सूचना केन्द्र, गजीबो, लैण्डस्केपिंग, बाउंड्रीवाल, विद्युतीकरण, प्लंबिंग कार्य, पब्लिक टायलेट और कई अधोसंरचना विकास के कार्य कराए गए हैं.


भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में बिताएं वनवास के 12 साल


गौरतलब है कि लोककथाओं के अनुसार रामायण काल में छत्तीसगढ़ के हिस्से को दक्षिण कौशल कहा जाता था. इसे माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है और जब राम, सीता और लक्ष्मण को वनवास हुआ तो छत्तीसगढ़ में 12 साल तक उन्होंने समय बिताया. इसलिए छत्तीसगढ़ में अब उन्हीं इलाकों को पर्यटन स्थल के रूप में विकासित किया जा रहा है. इसमें 75 स्थानों की पहचान हुई है. पहले चरण में कोरिया से सुकमा तक 2260 किलोमीटर की लंबाई तक 9 जगहों को रामायणकाल के अनुकूल विकसित किया जा रहा है.



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