रायपुर: देश में एक बार फिर बिजली संकट गहराने की आशंका है.दरअसल कई राज्यों में कोयले की किल्लत शुरू हो गई है. इससे राज्यों के पावर प्लांट से बिजली उत्पादन प्रभावित हो सकती है या बिजली महंगी हो सकती है. वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने क कोयले की किल्लत को पिछली बार से भयावह स्थिति बताया है.

 

बिजली महंगी होने के आशंका

दरअसल अप्रैल महीने में कोयले की किल्लत की खबरें बेहद गंभीर है. इस बार भीषण गर्मी में बिजली की डिमांड बढ़ गई है और इस बीच कोयले खत्म होने की आशंका देश में बड़ी चुनौती पैदा कर सकती है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को रायपुर एयरपोर्ट में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कई राज्यों में डेढ़ दिन का कोयला ही बचा हुआ है. देश में जो पावर प्लांट हैं उसके अलावा दूसरे जो प्लांट हैं उसमें कोयले की कटौती की गई है या फिर बंद कर दी गई है, जिसका ओद्योगिक गतिविधियों पर दुष्प्रभाव पड़ेगा.

 

केंद्र सरकार विदेशी कोयला लेने के लिए बना रही दबाव

कोयले की कमी को लेकर सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि देश में कोयले की जितनी जरूरत है उतना उत्पादन नहीं हो रहा है. केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव बना रही है कि विदेश से आए कोयले को अनिवार्य रूप से देसी कोयला में मिलना होगा. इसकी मात्रा अनुमानित 10 से 10 प्रतिशत है. सीएम भूपेश बघेल ने बताया कि देश का कोयला 3 से 4 हजार रुपए प्रति टन में मिलता है. लेकिन विदेश से जो कोयला आने वाला है वह प्रति टन 15 से 20 हजार रुपए है.इसका सीधा मतलब है कि बिजली उत्पादन महंगा होगा. फिर बिजली भी महंगी होगी.पिछला समय तो संभल गया था लेकिन अब जो स्थिति है वो बहुत भयावह होने वाली है.

 

 मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

कोयले की कमी की स्थिति में सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. सीएम का कहना है कि बीजेपी सरकार की कोयला नीति विफल रही है. इन लोगों ने राज्य सरकारों को आवंटित कैप्टिव माइंस को निरस्त कर दिया. उसके बाद उसकी नीलामी की, लेकिन नीलामी में किसी ने भाग नहीं लिया. इसके बाद  स्थिति ये है कि इन लोगों ने न राज्य सरकारों को ठीक से खदान आवंटित की और न ही कैप्टिव कोल यूजर को. 

 

राज्यों के पास कोयला नहीं

सीएम भूपेश बघेल ने कोयले की किल्लत को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पिछली बार तो जैसे -तैसे हालात संभल गए थे. लेकिन अब जो स्थिति है वह भयावह होने वाली है. बहुत सारे राज्यों में तीन -चार दिन का कोयला है. किसी किसी राज्य में तो डेढ़ दिन का ही कोयला बचा है.

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