Chhattisgarh Reservation News: छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा है. इन दिनों छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके आमने-सामने हो गए हैं. छत्तीसगढ़ में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण विधेयक पारित हो चुका है. लेकिन अब तक राज्यपाल ने उस विधेयक पर साइन नहीं किया है. अब राज्यपाल का एक नया बयान आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि अभी मार्च तक रुकिए. इधर सीएम बघेल ने भी इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मार्च में कोई मुहूर्त है क्या?


छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने क्या कहा


छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके रविवार को एक कॉलेज के कार्यक्रम में पहुंची थी. इस दरमियान पत्रकारों ने आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर अब तक नहीं किए जाने का सवाल राज्यपाल से किया.  इस पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने जवाब देते हुए कहा कि 'अभी मार्च का इंतजार करिये' अनुसुइया उइके के इस बयान के बाद छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार और कांग्रेस संगठन के लोग चौक गए हैं और लोग यह जानने की उत्सुकता में आ गए हैं कि मार्च में ऐसा क्या होगा कि मार्च तक इंतजार करने को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके बोल रही हैं.



सीएम भूपेश बघेल ने दी प्रतिक्रिया


इधर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी राज्यपाल के मार्च तक इंतजार करने वाले बयान पर प्रतिक्रिया दी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाकात कार्यक्रम के लिए रवाना होने से पहले हेलीपैड पर पत्रकारों से बात किये. पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आरक्षण विधेयक के लिए राज्यपाल मार्च तक रुकने के लिए कह रही है. इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीखे अंदाज में कहा कि मार्च तक क्यों इंतजार करना चाहिए. कौन सा मुहूर्त देख रही हैं? यहां सब परीक्षा हो रही है, बच्चों का एडमिशन लेना है. व्यापम की परीक्षा लेनी है, पुलिस में भर्ती होनी है, हेल्थ में भर्ती होनी है, सारी भर्तियां रुकी हुई हैं वे रोक कर बैठे हैं. यह संविधान में प्राप्त अधिकारों का दुरुपयोग है.


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मार्च में ऐसा कौन सा मुहूर्त निकलने वाला है कि वे करेंगी वो तो दिसंबर में पास हुआ है और अब तक रोके बैठी हैं. सीएम ने कहा कि बीजेपी पार्टी के इशारे पर इसको रोका जा रहा है ये प्रदेश के युवाओं के साथ अन्याय है.


जानिए छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ


आपको बता दें कि 2 दिसंबर को आरक्षण विधेयक विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था. उसी दिन राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए पहुंच गया था. लेकिन तब से लेकर अब तक 52 दिन बीत गए हैं. लेकिन राज्यपाल ने इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. आरक्षण बिल को लेकर राज्यपाल ने सरकार से 10 सवाल किए थे.


जिसके बाद सरकार का दावा है कि उन्होंने 10 सवाल के जवाब दे दिए हैं. बावजूद इसके अब तक राज्यपाल ने इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किया है. जिसे लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर आरक्षण के मामले को लेकर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगा रही है. साथ ही बीजेपी के दबाव में राज्यपाल पर काम करने का भी आरोप कांग्रेस लगा चुकी है. वहीं बीजेपी इसे राज्यपाल का विशेषाधिकार बता रही है.


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