Durg News: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनाव की तारीख नजदीक भी आ रही है. साल के आखिरी महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.  सभी राजनीतिक दल के नेता उसकी तैयारियों मेंजुट गए हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में आरक्षण एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा है जो अब तक नहीं सुलझा है. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण विधेयक पारित तो कर दिया है लेकिन यह विधेयक राजभवन में जाकर अटक गया है. अब तक राज्यपाल ने इस विधेयक पर साइन नहीं किया है.


कांग्रेस के मंत्री राज्यपाल से कर चुके हैं मुलाकात


छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन के आने के बाद एक बार फिर राज्य भवन में अटके आरक्षण विधेयक की मंजूरी की गुहार लगाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री व विधायक राजभवन पहुंचे थे. नये राज्यपाल से मुलाकात के बाद मंत्री कवासी लखमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि नये राज्यपाल से मुलाकात तो हुई मगर जैसी उम्मीद थी वैसा आश्वासन नहीं मिला है. उनकी बातचीत से लगा कि वो राजनीतिक दबाव में हैं. राज्यपाल यही कहते रहे कि देखते हैं, कर रहे हैं, समीक्षा कर रहे हैं. मगर कुछ ठोस बात नहीं हुई. हम गए तो हमें बैठाया, हम सभी की बातें तो सुनीं मगर आश्वासन नहीं मिला.


सीएम भी राज्यपाल से आरक्षण को लेकर कर चुके हैं मुलाकात


छत्तीसगढ़ के नये राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन के आने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आरक्षण मुद्दे को लेकर उनसे मुलाकात की है. मुलाकात के बाद सीएम ने पत्रकारों से कहा था कि मैंने राज्यपाल से आग्रह किया है कि विधानसभा से आरक्षण विधेयक पारित हो चुका है. आप पदभार ग्रहण किए हैं. इसलिए आपके संज्ञान में लाना जरूरी है. हमने आग्रह किया है कि इस पर त्वरित निर्णय हो ताकि प्रदेश के हित में काम हो सके. छात्र-छात्राओं को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. सीएम बघेल ने यह भी कहा था कि हमने नये राज्यपाल को बताया है कि प्रदेश में सरकारी भर्ती रुकी है. सब का उद्देश्य जनता का हित है. युवा पीढ़ी का भविष्य प्रभावित हो रहा है. इसलिए मैंने तत्काल संज्ञान लेकर फैसला करने के लिए राज्यपाल से आग्रह किया. 


 विशेष सत्र में विधेयक हुआ पारित, राज्यपाल ने नहीं किए हैं हस्ताक्षर


आपको बता दें कि 19 सितंबर को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे. तब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 2 दिसंबर को राज्य में एसटी यओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 76 प्रतिशत हो गया. लेकिन तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उईके ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं की. इसके बाद से सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है.


चुनाव से पहले आरक्षण पर नहीं आता है फैसला, तो पड़ेगा असर


छत्तीसगढ़ में इस साल आखिरी महीनों में विधानसभा चुनाव होने है. अगर चुनाव से पहले आरक्षण पर राजभवन की ओर से कोई फैसला नहीं आता है तो इससे विधानसभा चुनाव में असर पड़ता है या नहीं ये तो विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा. फिलहाल, छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा बना हुआ है. बीच-बीच में राजनीतिक पार्टियां आरक्षण पर बयान देती रहती हैं.


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