हर कोई चाहता है कि उसकी आयु लंबी हो ज्यादा से ज्यादा समय तक जीवित रहे. इसके लिए बेहतर खान पान का विशेष ध्यान रखा जाता है. लेकिन एक शोध में ये जानकारी सामने आई है कि दौड़ना केवल आपकी सेहत के लिए ही नहीं बल्कि लंबी उम्र पाने में भी कारगर है. एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि दौड़ना मृत्यु की संभावना को कम कर सकता है. 


दौड़ने और व्यायाम से मिलेगी लंबी उम्र


दरअसल ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि दौड़ने वाले लोगों को, नहीं दौड़ने वाले लोगों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 27 प्रतिशत कम होता है. अपनी दिनचर्या में हल्की दौड़ को शामिल करना महिला और पुरुष दोनों के लिए फायदेमंद है.


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शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि यदि लोग अपनी दिनचर्या में दौड़ना शामिल करें तो यह उनकी अच्छी सेहत बनाए रखने और दीर्घायु होने की संभावना को बढ़ाता है. यह बताया गया है कि स्वस्थ रहने के लिए सप्ताह में कम से कम 25 मिनट तक की रनिंग/ जॉगिंग भी फायदेमंद है. यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो पर्याप्त व्यायाम नहीं कर पाते.


जानें क्या कहते हैं पैथोलॉजी हेड ऑफ डिपार्टमेंट?


इस शोध को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ अरविंद नेरल बताया कि फिट रहने के लिए अन्य व्यायाम की तुलना में दौड़ना सबसे अच्छा व्या‍याम है. दौड़ना बहुत ही सरल और जल्द फायदा पहुंचाने वाला व्यायाम है.


दौड़ने के लिए किसी खास तकनीक की भी आवश्यकता नहीं होती. इससे ना केवल वज़न नियंत्रित होता है बल्कि आप पर उम्र का असर भी देर से दिखाई देता है. उन्होंने आगे बताया कि शोधकर्ताओं के अनुसार सेहतमंद रहने के लिए कुछ भी नहीं करने की अपेक्षा नियमित रनिंग करना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.आज की भाग दौड़ भरी जीवनशैली में लोगों के पास व्यायाम के लिए समय नहीं. ऐसे में दौड़ना सबसे अच्छा व्यायाम है. 


रायपुर में रन फ़ॉर हेल्थ का आयोजन


वहीं इन्हीं फायदों को बताने के लिए रायपुर के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से रविवार सुबह 6 बजे पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सामने से मरीन ड्राइव तक "रन फ़ॉर हेल्थ" का आयोजन किया गया था. इसके करीब 300-400 डॉक्टर्स शामिल हुए. रायपुर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रेजिडेंट डॉ प्रेम चौधरी ने बताया कि फिजिकल एक्टिविटी आज के समय की जरूरत ही नहीं मजबूरी हो गई है क्योंकि अब वेस्टर्न देशों के जैसे हमारे इंडिया में भी मोटापे के मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है जो कि एक चिंताजनक है.


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