Bastar Schools Building Problem: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में साल भर पहले जिस गांव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट- मुलाकात की चौपाल लगाई थी उस गांव के स्कूली बच्चों को नए स्कूल भवन देने की घोषणा के बाद भी आज तक भवन नहीं मिल पाया है. लिहाजा बीते साल भर से भैंसगांव गुड़ीपारा की प्राथमिक शाला गांव के देवगुड़ी में संचालित हो रही है. बच्चे देवगुड़ी के चबूतरे में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है, बच्चों के पालकों के द्वारा प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाने के बावजूद भी बीते साल भर से स्कूल भवन अधूरा पड़ा है, जिस वजह से स्कूल के शिक्षक देवगुड़ी में प्राथमिक शाला का संचालन करने को मजबूर हैं, जिसके चलते बच्चों और शिक्षकों को कई तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है.
जिले के बस्तर ब्लॉक में स्थित भैंस गांव में साल भर पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट- मुलाकात की चौपाल लगाई थी और यहां के ग्रामीणों को विकास कार्यों की सौगात भी दी थी. इसी दौरान स्कूली बच्चों ने भैंस गांव के गुड़ीपारा में स्कूल भवन नहीं होने के चलते सीएम से स्कूल भवन देने की मांग की थी. इस पर तुरंत मुख्यमंत्री ने नये स्कूल भवन के लिए स्वीकृति भी दी. जिसके बाद निर्माण एजेंसी पंचायत द्वारा इस स्कूल भवन को बनाने का काम शुरू किया गया, लेकिन सालभर भी यह भवन निर्माण के अभाव में अधूरा पड़ा हुआ है.
पढ़ाई लिखाई में कई तरह की परेशानी हो रही है
बीते मार्च महीने में ही स्कूल भवन की ढलाई की गई लेकिन उसके बाद इस भवन को इस हाल में छोड़ दिया गया अब आलम यह है कि स्कूल भवन में सीपेज आने लगा है, ऐसे में भैंसगांव के गुड़ीपारा प्राथमिक शाला के बच्चों के लिए स्कूल भवन नहीं होने के चलते पिछले साल भर से बच्चे गांव के देवगुड़ी में बैठकर पढ़ने को मजबूर है.प्राथमिक शाला के शिक्षक जमुना प्रसाद बघेल ने बताया कि देवगुड़ी में पहली से पांचवी कक्षा तक कक्षा लग रही है और कुल 26 बच्चों की संख्या दर्ज है, भवन नहीं होने के चलते देवगुड़ी के बाहर चबूतरे में कक्षा लगाया जा रहा है, भवन नहीं होने के चलते बच्चों को पढ़ाई लिखाई में कई तरह की परेशानी हो रही है, साथ ही यहां पदस्थ 2 शिक्षकों को भी काफी परेशानी होती है, शौचालय नहीं होने की वजह से बच्चे बाहर शौचालय जाने को मजबूर है.
बारिश में दिक्कतों का करना पड़ता है सामना
अधूरे भवन को पूरा करने की मांग को लेकर कई बार प्रशासन को पत्र लिखा जा चुका है, साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाया जा चुका है ,लेकिन अब तक अधूरे स्कूल भवन को पूरा करने की जहमत तक नही उठाई जा रही है, वही गांव के पुजारी और स्थानीय ग्रामीणों कहना है कि देवगुड़ी गांव की देवस्थल है और यहां बच्चों की स्कूल लगती है दिनभर में कई बार देवगुड़ी में पूजा पाठ भी होती है ऐसे में बच्चों के पढ़ाई को लेकर कई तरह की परेशानी होती है, इस वजह से सरपंच से कई बार अधूरे स्कूल भवन को पूरा करवाने के लिए गुहार लगाया जा चुका है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. बारिश के मौसम में बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, चबूतरे में कक्षा लगने की वजह से बारिश के दिनों में स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है.
निर्माण एजेंसी पंचायत को है राशि मिलने का इंतजार
इधर इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जरूर नए स्कूल भवन के लिए यहां स्वीकृति दी थी, लेकिन इस भवन की निर्माण एजेंसी खुद पंचायत है. ऐसे में शिक्षा विभाग का इस भवन को लेकर कोई हस्तक्षेप नहीं है, हालांकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने के लिए शिक्षक और ग्रामीणों को कहा गया है और उन्हें भी जानकारी मिली है कि देवगुड़ी में प्राथमिक शाला संचालित हो रही है. इधर इस मामले में पंचायत के सचिव ललित बघेल का कहना है कि स्कूल भवन के लिए DMFT फंड से 7 लाख रु. की राशि स्वीकृत हुई थी. जिस राशि से भवन के ढलाई तक काम पूरा कर लिया गया है. वहीं जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से 2 लाख रु. की राशि और मांगी गई है. राशि मिलने के साथ ही अधूरे पड़े भवन को पूरा करने का काम किया जाएगा, फिलहाल साल भर से भवन अधूरा पड़ा हुआ है.