अमेरिका की तर्ज पर सेक्स शार्टेड सीमेन से देश में दोबारा श्वेत क्रांति आ सकती है. सीमेन के इस्तेमाल से गायों के बेहतर नस्ल परिवर्तन और आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या पर भी विराम लग सकता है. फिलहाल अमेरिका की तकनीक का देश में प्रयोग होने लगा है. उत्तराखंड और मध्यप्रदेश सरकार ने अमेरिका की कंपनी से एमओयू कर लैब को भी स्थापित कर लिया है. छत्तीसगढ में लैब नहीं होने के बावजूद पशुपालक किसान सीमेन से काफी प्रभावित हैं. छत्तीसगढ़ सरकार को भी आधुनिक सीमेन बनाने की लैब प्रदेश में स्थापित करना चाहिए. लैब बन जाने से प्रदेश के पशुपालकों को भटकना नहीं पड़ेगा और एडवांस सीमेन राज्य में ही उपलब्ध हो सकेगा.  


क्या है सेक्स शार्टेड सीमेन? 


सेक्स शार्टेड सीमेन (लिंग वर्गीकृत वीर्य) पर अमेरिका की एसटी जेनेटिक्स का पेटेंट है. सीमेन में वाई क्रोमोजोम की संख्या को नगण्य करने से गाय की बछिया जन्म लेने की संभावना 90- 92 प्रतिशत तक बढ जाती है. पिछले 35-40 वर्षों से कृत्रिम गर्भाधान में गाय के नर और मादा बच्चे होने की संभावना 50-50 फीसदी रहती थी. एडवांस सीमेन के जरिए कृत्रिम गर्भाधान से गाय का मादा बच्चे होने की संभावना केवल 8-10 प्रतिशत ही होती है. इसका सीधा लाभ पशुपालकों को मिल रहा है.


आमतौर पर ज्यादातर पशुपालकों की चाहत होती है गाय बछिया को जन्म दे. लेकिन आज से पहले कृत्रिम गर्भाधान में इसकी संभावना कम होती थी. सीमेन का इस्तेमाल गाय से बछिया यानी मादा बच्चे को जन्म देने में मदद करेगा, पशुपालकों की आय बढ़ेगी, गायों की नस्ल में सुधार होगा और आवारा पशुओं की संख्या में कमी आएगी. आधुनिक युग में ट्रैक्टर औऱ अन्य उपकरणों के माध्यम से जुताई बुआई का काम होने लगा है. पशुपालकों के लिए बछड़ा या बैल अनुपयोगी साबित होता है. ज्यादातर पशुपालकों के पशुओं को आवारा छोड़ने से हादसों का डर हर वक्त बना रहता है. लेकिन इस सीमेन के उपयोग से ऐसा नहीं होगा.


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आएगी दोबारा श्वेत क्रांति 


सीमेन से मिलने वाले दूसरे लाभ की बात करें तो प्रयोग से गायों की संख्या बढेगी. लोग अब डेयरी उद्योग की तरफ ज्यादा आकर्षित होंगे और देश में एक बार फिर श्वेत क्रांति आने की संभावना बढ़ेगी. सीमेन से तीसरा सबसे महत्वपूर्ण फायदा गायों की नस्ल में सुधार का होगा. सेक्स शार्टेड सीमेन के तीन जनरेशन तक प्रयोग से गाय ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन करने के लिए उन्नत नस्ल की हो जाएगी. सब फायदों का सीधा असर पशुपालकों पर होगा. सेक्स शार्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भधान के बारे में ने सरगुजा पशुपालन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ सीके मिश्रा ने बातचीत में कहा कि जानकारी कलेक्टर संजीव झा को दी है और फिर डॉ मिश्रा ने निर्देश पर बिना देर किए प्रयोग की ठान ली और लेने के लिए उत्तराखंड के ऋषिकेश पहुंच गए.


उत्तराखंड सरकार ने यूएस के एसटी जेनेटिक्स से करार कर सीमेन को विकसित करने का लैब स्थापित किया है. सीमेन की खरीदादारी कर प्रयोग कृत्रिम गर्भाधान के रूप में करने लगे. नतीजा हुआ कि अब तक पशु चिकित्सक और टीम ने 300 से अधिक गायों में सेक्स शार्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान किया है. अब तक 65 बछियों का जन्म हो चुका है और उम्मीद है बाकी की गायों में 90 फीसदी से ज्यादा बछियों को जन्म देंगी. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में सरगुजा ने पहली बार आधुनिक कृत्रिम गर्भाधान को अपनाया है. सेक्स शार्टेड सीमेन 4 नस्लों- गिर, साहीवाल, जर्सी, और होलिस्टिन में उपलब्ध है.     


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