Chhattisgarh Silger Firing Case: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur) जिले के सिलगेर गांव में पुलिस के जवानों की तरफ से हुई फायरिंग (Firing) में 3 ग्रामीणों के मारे जाने और भगदड़ में एक महिला की मौत (Death) होने के मामले को सालभर बीतने के बाद भी न्याय नहीं मिला है. न्याय नहीं मिलने की वजह से एक बार फिर हजारों ग्रामीण सिलगेर में जमा हुए और मृतकों को न्याय दिलाने की मांग की. नए पुलिस कैम्प (Police Camp) को हटाने और अन्य मांगों को लेकर हजारों ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं. मंगलवार को घटना के एक साल बीतने पर ग्रामीणों ने मौके पर ही मृतकों के नाम पर स्मारक बनाकर पूजा-पाठ किया और एक साल पूरे होने पर बरसी मनाई. वहीं, अचानक जुटी हजारों ग्रामीणों की भीड़ को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.


मृतकों की याद में बनाया गया स्मारक
सिलगेर आंदोलन में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि सिलगेर में पुलिस की तरफ से हुई गोलीबारी में 3 लोगों की मौत होने की घटना को पूरे एक साल बीत गए हैं, लेकिन इस गोलीकांड की न्यायिक जांच अब तक शुरू नहीं हो सकी है. मारे गए लोगों के परिवार वालों को ना तो मुआवजा दिया गया है और ना ही मामले की न्यायिक जांच की गई है. सरकार के प्रतिनिधि बात करने आए थे  जिन्होंने आश्वासन भी दिया था, लेकिन सालभर बीतने के बाद भी उनकी तरफ से  कोई पहल नहीं की जा रही है.


ग्रामीण कर रहे पुलिस कैम्प हटाने की मांग
इधर, बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने कहा कि, सिलगेर में स्थापित किए गए पुलिस कैम्प को हटाने की लगातार मांग की जा रही है, लेकिन ग्रामीणों की मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. बिना ग्राम सभा के आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर कैम्प स्थापित कर दिया गया है, ग्रामीण चाह रहे हैं कि कैम्प हटा दिया जाए. वहीं, एक बार फिर से शुरू हुए आंदोलन में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि जब तक कैम्प नहीं हटाया जाएगा, हम आंदोलन में डटे रहेंगे.




नक्सल प्रभावित क्षेत्र है सिलगेर
दरअसल, घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सिलगेर में पिछले एक साल से ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं. हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर में आंदोलन में शामिल ग्रामीण घर जरूर लौटे थे लेकिन उनके तंबू, बर्तन समेत अन्य सामान जस के तस आंदोलन स्थल पर ही मौजूद थे. जब कोरोना के आंकड़े कम हुए तो ग्रामीणों की भीड़ फिर से आंदोलन स्थल पहुंचने लगी है. तब से लेकर अब तक कई ग्रामीण आंदोलन स्थल पर मौजूद हैं. वहीं, पुलिस की फायरिंग से मारे गए 3 ग्रामीणों की बरसी के दौरान एक बार फिर से हजारों ग्रामीण इकट्ठा हो गए हैं.


ऐसे हुई थी सिलगेर में फायरिंग 
जानकारी के मुताबिक 12 मई  साल 2021 को सिलगेर में पुलिस कैम्प स्थापित किया गया था, जिसके ठीक दूसरे दिन यानी 13 मई से ग्रामीणों ने सिलगेर से कैम्प को हटाने की मांग शुरू कर दी थी. 3 से 4  दिनों के अंदर आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था, आस-पास गांव के ग्रामीण हजारों की संख्या में इकठ्ठा हुए. वहीं, 17 मई की दोपहर कैम्प को हटाने के लिए आंदोलन कर रहे ग्रामीणों की पुलिस के साथ झूमा झटकी हुई थी जिसके बाद पुलिस ने गोली चला दी थी. गोली लगने से 3 ग्रामीणों की मौत हुई थी, जबकि एक महिला की भगदड़ में जान चली गई थी. हालांकि, मारे गए लोगों को पुलिस ने नक्सली बताया था, लेकिन इसे साबित नहीं कर पाई. वहीं, घटना के साल भर बीतने के बाद भी अब तक इस मामले को लेकर न्यायिक जांच शुरू नहीं की गई है जिसके चलते ग्रामीण काफी आक्रोश में हैं.


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