ABP News Siyasi Scan: छत्तीसगढ़ के ऐसे नेता जो कभी हजारों वोटों से चुनाव हार चुके थे. लेकिन, आज उनके पास प्रदेश की सत्ता की कमान है. जब से इन्होंने प्रदेश की सत्ता की कमान संभाली, इनका राजनीति में कद बढ़ गया. सबसे रोचक बात यह है कि इनको हजारों वोटों से मात देने वाले प्रतिद्वंद्वी रिश्ते में उनके भतीजा लगते हैं. पढ़िए कौन हैं, वह नेता और क्या है इनकी दिलचस्प कहानी?


किसान परिवार से हैं ये नेता
जब हम ने यह कहा कि प्रदेश की सत्ता की कमान संभाल रहे हैं, तो आपको अंदाजा लग गया होगा कि हम किस नेता की बात कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की. सीएम भूपेश बघेल एक किसान नेता हैं और किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वर्तमान स्थिति में राजनीति में इनका कद राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ चुका है.


राजनीति में अपने भतीजे ने ही दी थी पटखनी 
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं. पिछले चार विधानसभा चुनावों की बात करें तो भूपेश बघेल तीन बार चुनाव जीते हैं. एक बार रिश्ते में भतीजा लगने वाले विजय बघेल से चुनाव हारे हैं. साल 2008 में छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में पाटन विधानसभा सीट से भूपेश बघेल कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़े थे. वहीं बीजेपी की ओर से विजय बघेल चुनाव में खड़े थे. इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार विजय बघेल ने सीएम भूपेश बघेल को लगभग 8000 वोटों से हराया था.


जानिए, राज्य गठन के बाद पाटन सीट पर किसने मारी बाजी 
अब बात करते हैं छत्तीसगढ़ में पिछले 4 विधानसभा चुनावों में पाटन सीट से सीएम भूपेश बघेल और किनके बीच चुनाव हुआ और कितनी बार किसने जीत हासिल की और कौन कितनी बार हारा. मध्य प्रदेश राज्य से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ में 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था. उस समय पाटन विधानसभा सीट से भूपेश बघेल कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार थे और रिश्ते में उनके भतीजा लगने वाले विजय बघेल एनसीपी से उम्मीदवार थे. इस चुनाव में भूपेश बघेल ने विजय बघेल को लगभग 7000 वोटों से हराया था.


बीजेपी में आने के बाद विजय बघेल ने हराया
अब बात करते हैं 2008 के विधानसभा चुनाव की. 2008 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल को उम्मीदवार बनाया गया. लेकिन, इस बार विजय बघेल बीजेपी की ओर से उम्मीदवार बनाए गए थे. भूपेश बघेल और विजय बघेल के बीच जोरदार चुनावी टक्कर हुई. इस बार विजय बघेल ने भूपेश बघेल को लगभग 8000 वोटों से हरा दिया.


हार के बाद शुरू हुआ जीत का सिलसिला
2013 के विधानसभा चुनाव में फिर एक बार भूपेश बघेल और विजय बघेल आमने-सामने हुए. दोनों के बीच फिर एक बार फिर चुनावी टक्कर हुई. इस चुनाव में भूपेश बघेल पूरे दमखम के साथ मैदान पर उतरे. उधर, विजय बघेल भी दमखम के साथ मैदान में उतरे थे और प्रचार प्रसार जोरों पर कर रहे थे. इस विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल फिर से जीत की ओर आगे बढ़े उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार विजय बघेल को लगभग 10000 वोटों से हरा दिया. 


पहली बार भारी मतों से भूपेश बघेल ने जीत हासिल की
अब विधानसभा चुनाव 2018 में होने वाला था. 2018 में भूपेश बघेल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए एक बार फिर भी पाटन विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार बनाए गए. लेकिन, इस बार बीजेपी की ओर से विजय बघेल की जगह मोतीलाल साहू को टिकट मिला. भूपेश बघेल अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे. वही बीजेपी की ओर से मोतीलाल साहू पहली बार पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे. भूपेश बघेल ने बीजेपी के प्रत्याशी मोतीलाल साहू को लगभग 27000 से ज्यादा वोटों से हराकर फिर एक बार जीत हासिल की.


नक्सली हमले में कांग्रेस के बड़े नेता हो गए थे शहीद
देश के सबसे बड़े नक्सली हमले में जब 2013 में कांग्रेस के बड़े नेता समेत कई नेता शहीद हो गए थे, तब छत्तीसगढ़ में ऐसा लगता था कि कांग्रेस का अस्तित्व ही खत्म हो गया है. ऐसी स्थिति में भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने फिर एक बार कांग्रेस के लोगों को चार्ज किया और पूरे प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ आंदोलन करते रहे. 2018 के चुनाव में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 90 सीटों में से 68 सीटों पर जीत हासिल की.


भूपेश बघेल के नेतृत्व में 2018 में कांग्रेस को भारी जीत 
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी. 90 सीटों में से 68 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था. इसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के तौर पर भूपेश बघेल नाम आगे किया. भूपेश बघेल 2018 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने. अब 2023 में फिर विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बार फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन, अब देखने वाली बात यह होगी कि बीजेपी पिछले चुनाव में हारे प्रत्याशी मोतीलाल साहू को टिकट देती है या फिर किसी दूसरे को कैंडिडेट बनाती है.


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