Chhattisgarh Siyasi Scan: जनता की अदालत में हर पांच साल में नेताओं का फैसला होता है. विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में हार तो जीत होती ही है. लेकिन, कुछ हार-जीत इतने खास होते हैं कि इन्हें याद रखा जाता है. आज सियासी स्कैन में हम छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की दिलचस्प हार-जीत की ही कहानी बताने जा रहे है. इस हार और जीत ने 2018 विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं. ये है कसडोल विधानसभा चुनाव में हुए सबसे बड़े उलटफेर की कहानी. जब 32 साल की एक लड़की ने दो बार के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष को करीब 49 हजार वोट से करारी शिकस्त दी.


32 साल की लड़की ने विधानसभा अध्यक्ष को हराया
दरअसल 2018 विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की राजनीति में गजब का उठापटक देखने को मिला. तब, 15 साल से सत्ता में रही बीजेपी 14 सीटों पर ही अटक कर रह गई थी. रमन सिंह के 8 मंत्री विधानसभा चुनाव हार गए थे. विधानसभा के स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल को भी करारी हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन, इससे भी ज्यादा चर्चा इस पहली बार चुनाव लड़ रही शकुंतला साहू की रही. क्योंकि, शकुंतला साहू ने विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को करीब 49 हजार वोट से हरा दिया. हालांकि, इसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी. लेकिन, कसडोल विधानसभा के वोटरों ने युवा महिला नेत्री पर भरोसा जताया और एकतरफा वोट से शकुंतला साहू की जीत हुई.


बीजेपी के दिग्गज नेता की करारी हार
आपको बता दें कि गौरीशंकर अग्रवाल का जन्म बलौदा बाजार के बिलाईगढ़ गांव में सन 1952 में हुआ. उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उनका खुद का निजी व्यवसाय भी है. लेकिन, पढ़े लिखे नेता के रूप में पार्टी में जाने जाते थे. इसलिए पार्टी ने उन्हें 1998 में टिकट दिया और गौरीशंकर अग्रवाल पहली बार विधानसभा पहुंचे. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद 2005 तक प्रदेश बीजेपी के कोषाध्यक्ष पद रहे. उन्होंने 2013 में फिर से विधानसभा चुनाव जीत कर पार्टी में बड़े नेताओं की लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा लिया. रमन सिंह की सरकार में उन्हें छत्तीसगढ़ विधानसभा का अध्यक्ष बना दिया गया.


पावरफुल नेताओं में होने लगी चर्चा
जानकारी हो कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कसडोल विधानसभा में कुल 3 लाख 33 हजार 341 वोट पड़े थे. इसमें से शकुंतला साहू को 49 .14 प्रतिशत वोट मिल गए, यानी 1 लाख 21 हजार 422 वोट उन्हें मिले. इधर, दो बार के विधायक और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को केवल 73 हजार 4 वोट मिले. इस कारण बड़े अंतर से शकुंतला साहू ने विधानसभा अध्यक्ष को करारी शिकस्त दी. इसके बाद शकुंतला साहू की चर्चा पॉवरफुल कांग्रेस नेताओं में होने लगी. 


युवाओं के लिए खास रहा 2018 का चुनाव 
शकुंतला साहू की जीत पर राजनीतिक जानकारों ने बताया कि 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अधिकातर युवा और मेहनती कार्यकर्ताओं को चुनाव मैदान में उतारा था. इनमें शकुंतला साहू का भी नाम शामिल है. युवाओं ने चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया. इसलिए पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले विधायकों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा रही. इस बार भी 2023 के विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टी नए चेहरों पर काम कर रही है. हालाकि, कांग्रेस के पास युवा विधायक ही सबसे ज्यादा हैं. अब बीजेपी भी इसी फार्मूले से विधानसभा चुनाव में उतर सकती है. बीजेपी भी इस साल ज्यादातर युवाओं को मौका दे सकती है.


कौन हैं अनमैरिड युवा शकुंतला साहू?
बीजेपी के बड़े नेता और विधानसभा अध्यक्ष को चुनाव हराने के बाद कांग्रेस सरकार ने शकुंतला साहू को कृषि विभाग, जल संसाधन और संसदीय कार्य विभाग की संसदीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी. शकुंतला साहू इससे पहले 2012 में बलौदा बाजार जिला कांग्रेस कमेटी की महिला उपाध्यक्ष रही थीं. इसके बाद 2016 में जिला महामंत्री के पद पर उनका प्रमोशन हो गया. उनका कसडोल में खुद का टेंट हाउस है. उनके पिता पहले सरपंच का चुनाव जीत चुके हैं. इसलिए शकुंतला साहू की राजनीति में बचपन से ही दिलचस्पी रही है. 


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