Bastar News: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर में वन विभाग के निगरानी में रखी आखिरी पहाड़ी मैना की भी मौत हो गई है. विलुप्त प्रजाति की पक्षी होने की वजह से पहाड़ी मैना को छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी का दर्जा प्राप्त है. दरअसल पिछले कुछ सालों से शहर के वन विद्यालय में एक बड़े पिंजरे में 3 पहाड़ी मैना को रखा गया था. इंसानों की बोली कि तरह हूबहू नकल करने वाली मैना पक्षी पर्यटकों के लिए भी मुख्य आकर्षण का केंद्र थी. इस वजह से इसे वन विद्यालय के विशाल पिंजरे में कांगेर राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा निगरानी में रखा गया था, लेकिन एक के बाद एक तीनो पहाड़ी मैना की मौत हो गयी है.
दो महीने पहले ही सोनू और ऋतु नाम की मैना की मौत हुई थी. वहीं अब मोनू नाम की मैना की भी मौत हो गयी है. पहाड़ी मैना के संरक्षण के लिए विभाग के द्वारा लाखों रुपए खर्च करने के दावे के बावजूद एक भी मैना को बचाया नहीं जा सका और विभाग के निगरानी में ही तीनों मैना की एक के बाद एक कर मौत हो गई है.
लाखों रुपए खर्च करने का किया गया था दावा
दरअसल पहाड़ी मैना बस्तर के ही जंगलों में देखने को मिलती है. विलुप्त प्रजाति की पक्षी होने की वजह से लंबे समय से इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए वन विभाग काम कर रहा है. वहीं वन विद्यालय में एक बड़े पिंजरे में पिछले कुछ सालों से 3 पहाड़ी मैना को रखा गया था और इनके प्रजनन को भी लेकर लाखों रुपए खर्च करने का दावा किया गया, लेकिन आज तक मैना पक्षियों के नर है या मादा का पता नहीं चल सका. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन पक्षियों के देखरेख के अभाव में एक के बाद एक तीनो पक्षी की मौत हो गई.
'पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है'
इधर कांगेर वैली नेशनल पार्क के संचालक गणवीर धर्मशील का कहना है कि मैना की मौत कैसे हुई इसका कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है, उन्होंने बताया कि इससे पहले जो दो मैना की मौत हुई थी यह जानकारी जरूर उन्हें हैं, लेकिन उनकी मौत कैसे हुई उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. हालांकि बुधवार (12 जुलाई) को हुई एक मैना की मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है. संचालक ने बताया कि कुछ दिन पहले ही मैना को पिंजरे से आजाद करने का फैसला लिया गया था, लेकिन उच्च अधिकारियों से अनुमति मिलने का इंतजार था. जानकारी मिली है कि कुछ दिनों से मैना बीमार थी और बुधवार को उसकी मौत हो गई.
पक्षी प्रेमियों ने की मैना की मौत की जांच की मांग
इधर राजकीय पक्षी का दर्जा प्राप्त पहाड़ी मैना की एक के बाद एक मौत होने से पक्षी प्रेमियों में भी काफी नाराजगी है, पक्षी प्रेमी संजीव पचौरी बताते हैं कि पहाड़ी मैना हुबहू इंसानों की बोली की नकल करती है, विलुप्त प्रजाति की पक्षी होने की वजह से इसे राजकीय पक्षी का दर्जा दिया गया है, और राज्य में केवल बस्तर के इलाकों में ही देखने को मिलती है, वन विभाग ने सालों से इनके संरक्षण और संवर्धन के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने का दावा किया लेकिन इन पक्षियों के रहवास और प्रजनन को लेकर एक भी जानकारी नहीं जुटा पाई, वही तीन महीनों में एक के बाद एक तीनों मैना पक्षी की मौत हो गई,जो जांच का विषय है.
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