Ukraine Russia War: जानिए- MBBS के लिए यूक्रेन या अन्य देश क्यों जाते हैं भारतीय छात्र, बातचीत में मिला ये जवाब
Ukraine News: यूक्रेन (Ukraine) में भारतीय (Indian) मूल के करीब 14 हजार से ज्यादा छात्र फंसे हुए हैं. इनमें करीब 80 फीसदी छात्र मेडिकल (Medical) की पढ़ाई के लिए वहां जाते है.
Chhattisagarh News: यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के हमले के बाद भारतीय (Indian) मूल के हजारों छात्र यूक्रेन के अलग-अलग राज्यों के शहरों में फंसे हुए हैं. इनमें करीब 80 फीसदी छात्र मेडिकल पढ़ाई के सिललिसे में वहां गए थे. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र यूक्रेन समेत अन्य देशों में मेडिकल (Medical) की पढ़ाई के लिए क्यों जाते हैं? इन सब सवालों को लेकर एबीपी न्यूज (ABP News) ने मेडिकल फील्ड के एक्सपर्ट और उन छात्रों के परिजनों से बात की है. जिनके बच्चे फिलहाल यूक्रेन में फंसे हुए हैं और वतन वापसी की तमाम कोशिश कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ कितने हैं मेडिकल कॉलेज
यूक्रेन में रूस के हमले के दौरान भारतीय मूल के 14 हजार छात्रों में छत्तीसगढ़ के करीब 70 छात्र यूक्रेन के अलग-अलग शहरो मे फंसे हुए हैं. इनमें से अधिकांश छात्र एमबीबीएस की पढाई के लिए यूक्रेन गए हुए थे. दरअसल, छत्तीसगढ़ में नौ मेडिकल कॉलेज हैं. लेकिन फिलहाल सात मेडिकल कॉलेज में ही दाखिला शुरू हुआ है. इन शासकीय मेडिकल कॉलेज में रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव, जगदलपुर, सरगुजा और कांकेर के मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. जहां एडमिशन के लिए हर साल प्रदेश के हजारों छात्र एंट्रेंस एग्जाम देते हैं.
कितनी है MBBS सीट
हालांकि प्रदेश के सात मेडिकल कॉलेज में सिर्फ 725 एमबीबीएस की सीट होने के कारण कई छात्रों के हाथ सिर्फ मायूसी लगती है. ऐसे में अपने बेटे-बेटियों को डॉक्टर बनाने का ख्वाब संजोए कई परिजन भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों में भारी भरकम डोनेशन देकर अपने बच्चों का दाखिला करा लेते हैं. लेकिन मिडिल क्लास या लोअर मिडिल क्लास वाले अभिभावक उन एजेंसी के विज्ञापन के चक्कर में फंस जाते हैं जो भारत में रहकर यूक्रेन और अन्य देशों के मेडिकल कॉलेज के एजेंट के तौर पर काम करते हैं. गौरतलब है कि प्रदेश में फिलहाल संचालित सात मेडिकल कॉलेजों के अलावा तीन प्राइवेट मेडिकल कालेज भी हैं.
कैसा है भारत में पढ़ाई का स्तर
एक्सपर्ट बताते है की भारत में मेडिकल की पढाई का स्तर ज्यादा अच्छा है. वैसे भी वहां एमबीबीएस की पढाई कर भारत में रजिस्ट्रेशन या प्रेक्टिशनर के लिए एक क्वालीफाई एग्जाम देना पड़ता है. उसमें पास होने के बाद छात्र को भारत में एमबीबीएस डिग्रीधारी माना जाता है. अगर क्वालीफाई नहीं कर पाया तो वो भारत में 12 पास नहीं माना जाएगा. ऐसे में युक्रेन से वापस आने वाले कई छात्र क्वालीफाई छात्र एग्जाम नहीं निकाल पातें है और हाथ में हाथ धरे रह जाते है.
कितनी है सरकारी कॉलेजों में फीस
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी (AO) जगदीश प्रसाद सिंह बताते हैं. प्रदेश के शासकीय मेडिकल कॉलेज की में चाढे चार साल की फीस ली जाती है. जिसमें शुरु के चार साल तक गवर्मेंट फीस के रूप में प्रतिवर्ष 40 हजार रूपए लिए जाते हैं. जबकि आखिरी के छह महीने की फीस 20 हजार रूपए ली जाती है. इसके अलावा परीक्षाओं के समय एक्जाम फीस के रूप में करीब 12 सौ रूपए प्रति छात्र रुपए लिए जाते हैं. इसके अलावा नॉन गर्वेमेंट फीस के रूप मे पहले साल 10 हजार रूपए लिए जाते हैं. उसके बाद नौ हजार 500 रूपए हर साल लिए जाते हैं. जिसमें हॉस्टल फीस भी शामिल है. ऐसे में अगर कोई छात्र हॉस्टल में नहीं रहना चाहता है तो फिर उसमें छात्रावास फीस के रूप में लिए जाने वाले तीन हजार 500 रूपए कम कर लिए जाते हैं. मतलब अगर छत्तीसगढ के शासकीय कॉलेजो में एमबीबीएस की पढाई के लिए मोटा खर्च माना जाए. तो गवर्मेंट फीस के रूप में साढे चार साल में एक लाख 80 हजार रूपए गवर्मेट फीस के अलावा एक्जाम फीस और नान गवर्मेंट फीस मिलाकर 50 हजार रूपए रूपए का खर्च आता है.
कितनी है निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस
छत्तीसगढ़ में तीन निजी मेडिकल कालेजों में मोवा में संचालित एक मेडिकल कालेज प्रबंधन और कालेज की वेबसाइट से जानकारी मिली. इस निजी कालेज में एमबीबीएस के प्रत्येक वर्ष की फीस 11 लाख 25 हजार से अधिक है. जिसमें छह लाख 45 हजार ट्यूशन फीस और हॉस्टल और मेस की दो लाख की फीस समेत कई अन्य फीस शामिल है. इसके अलावा अन्य दो मेडिकल कालेज हैं. उनकी फीस इस स्ट्रक्चर से मिलती जुलती है. इस तरह छत्तीसगढ़ के निजी कालेजों में मेडिकल की पढाई का कुल खर्च करीब 51 लाख हो जाता है. इसके अलावा निजी कालेज प्रबंधन मनेजमेंट की कुछ सीटों पर अपने-अपने तय फीस लेकर एमबीबीएस में छात्रों का दाखिला दिलाते है.
यूक्रेन में कितनी है फीस
यूक्रेन में एमबीबीएस सेकंड ईयर की पढाई कर रहे अम्बिकापुर निवासी शुभम गुप्ता के पिता उपेन्द्र गुप्ता ने बताया की यूक्रेन का पढाई अच्छी है. यहां मेडिकल की पढाई में जितना खर्च लगता है. उसके मुकाबले यूक्रेन में कम पैसा लगता है. यहां के फीस के मुकाबले यूक्रेन में 60 से 70 प्रतिशत तक कम लगता है. यूक्रेन में एमबीबीएस हो या इंजीनियरिंग, दोनों विषयों की पढाई कम खर्च में अच्छी होती है. यूक्रेन के मेडिकल कालेजों में पढाई करने के लिए भारत में हर साल आयोजित होने वाली नीट परीक्षा क्वालीफाई करना पड़ता है. इसके बाद यूक्रेन की सरकार से परमिशन लेकर आसानी से प्रवेश मिल जाता है.
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