Surguja: जर्जर शौचालय और पेयजल की समस्या के बीच होगा नए शिक्षा सत्र का आगाज, पढ़ें डिटेल
Ambikapur News: विद्यालय के प्रधान पाठकों का कहना है कि उनके विद्यालयों में मरम्मत की क्या-क्या आवश्यकता है यह जानने भी कभी कोई नहीं पहुंचा और अब भवनों का मरम्मत भी ठेकेदार अपनी मनमर्जी से कर रहे हैं.
Surguja News: ग्रीष्मकालीन अवकाश खत्म होने के पूर्व सरगुजा जिले के शासकीय विद्यालय भवन को संवारने शासन से मिले 110 करोड़ की राशि के बावजूद आज से शुरू होने वाले नए शिक्षा सत्र का शुभारंभ जर्जर शौचालय और पेयजल की समस्या के बीच होगा. सर्वाधिक बुरी हालत आजाक विभाग के शौचालयों की है, जिनका 110 करोड़ की राशि में मरम्मत का कोई प्रावधान नहीं रखा गया. विद्यालय प्रमुखों का आरोप है कि मरम्मत के लिए बगैर फील्ड में पहुंचे कार्यालय में प्राकलन तैयार करा लिया गया है और जरूरत के मुताबिक भवनों का मरम्मत नहीं हो रहा है, जिससे इस नए शिक्षण सत्र में भी बच्चों और शिक्षकों को वही परेशानी होगी जो पिछले वर्षों तक होती रही है.
जानकारी के अनुसार बड़े विद्यालय भवन जहां मरम्मत के लिए अधिक राशि की आवश्यकता है वहां कम राशि की स्वीकृति मिली है, जबकि कई छोटे विद्यालय भवनों के मरम्मत के लिए बड़े विद्यालयों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक राशि आवंटित की गई है. विद्यालय प्रमुखों का कहना है कि अभी भी विद्यालय के शौचालय उपयोग विहीन है, लेकिन उनका मरम्मत नहीं हो रहा है. आजाक विभाग के विद्यालय प्रमुख शौचालयों की सफाई को लेकर भी चिंतित हैं, क्योंकि शिक्षा विभाग के विद्यालयों के समान उनके विद्यालयों में स्वीपर की भी व्यवस्था नहीं है.
विद्यालय के प्रधान पाठकों का कहना है कि उनके विद्यालयों में मरम्मत की क्या-क्या आवश्यकता है यह जानने भी कभी कोई नहीं पहुंचा और अब भवनों का मरम्मत भी ठेकेदार अपनी मनमर्जी से कर रहे हैं. कई प्रधान पाठकों ने कहा कि उन्होंने संबंधित ठेकेदार से टूटे हुए छज्जे और क्षतिग्रस्त शौचालय के सुधार की बात की तो ठेकेदार ने यह कार्य करने इंकार कर दिया. शिक्षकों और विद्यालय प्रमुखों का कहना है कि कार्यालय में बैठकर तैयार किए गए इस प्राक्कलन और किए जा रहे मरम्मत के कार्यों की जांच की जाए तो बड़ी गड़बड़ी सामने आएगी.
स्वीकृति सवा दो लाख, खर्च हो रहा डेढ़ लाख
कई विद्यालय प्रमुख और शिक्षकों का कहना है कि स्कूल भवन के मरम्मत की जिम्मेदारी संभाल रहे आरईएस विभाग के तकनीकी अधिकारी फील्ड में भी नहीं पहुंचे और संबंधित ठेकेदार मनमानी पूर्वक मरम्मत का कार्य करा रहे हैं. एक संकुल समन्वयक ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि मरम्मत करने वाले ठेकेदार ने कहा कि विद्यालय मरम्मत के लिए स्वीकृति तो सवा दो लाख रुपए की हुई है, लेकिन उन्हें सिर्फ डेढ़ लाख रुपए ही खर्च करने की अनुमति है.
मरम्मत की जिम्मेदारी है आरईएस विभाग की
जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुहे ने बताया कि सरगुजा के 2050 विद्यालयों में से 1400 स्कूल भवनों के मरम्मत के लिए मुख्यमंत्री जतन योजना के तहत 110 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत हुई हैं. उन्होंने कहा कि यह राशि आरईएस विभाग को हस्तांतरण कर भवनों के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्होंने बताया कि विद्यालय भवन के मरम्मत का प्राक्कलन बीईओ और बीआरसी के माध्यम से तैयार किया गया था और प्राक्कलन के आधार पर राशि की स्वीकृति मिली है. इस संबंध में आरईएस विभाग के कार्यपालन अभियंता से संपर्क न हो पाने से उनका पक्ष नहीं लिया जा सका.
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