Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में बीमा कंपनी द्वारा पॉलिसी धारक की मौत के बाद मृत्यु दावा की राशि एक करोड़ रुपये देने से इनकार किए जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्थाई लोक अदालत ने संपूर्ण साक्ष्यों के आधार पर बीमा कंपनी को यह आदेश दिया है कि बीमा धारक की नॉमिनी को 11 अप्रैल 2023 से उक्त राशि पर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 30 दिन के अंदर अदा करें. अगर 30 दिन के भीतर यह राशि अदा नहीं हुई तो ब्याज दर की राशि 9 प्रतिशत हो जाएगी. इसके अलावा मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 20 हजार रुपये और वाद व्यय के रूप में 5 हजाररुपये दिए जाने का आदेश जारी किया गया है. 


न्यायालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शहर के डॉ. राजेंद्र प्रसाद वार्ड दर्रीपारा निवासी गणेश कुमार कश्यप द्वारा अम्बिकापुर की एक बीमा कंपनी से जीवन बीमा पॉलिसी ली थी. बीमा कंपनी के अंबिकापुर शाखा के अधिकृत एडवाइजर राहुल कुमार पांडेय द्वारा गणेश कुमार के समक्ष बीमा प्रस्ताव पत्र प्रस्तुत किया गया. बीमा धारक ने प्रस्ताव के प्रश्नों, तथ्यों को समक्ष कर उसमें वांछित तथ्य और आवश्यक दस्तावेज एडवाइजर को देकर स्वीकृति पत्र पर हस्ताक्षर किया था.


बीमा कंपनी के एडवाइजर्स ने संपूर्ण तथ्यों से संतुष्ट होकर गोपनीय रिपोर्ट के साथ प्रस्ताव पत्र, प्रीमियम राशि व मेडिकल रिपोर्ट के साथ बीमा कंपनी में जमा करा सक्षम अधिकारी से मेडिकल रिपोर्ट में प्रस्तावक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य जांच करने के बाद स्वस्थ पाते हुए प्रीमियम की राशि स्वीकार कर प्रथम प्रीमियम रशीद पॉलिसी धारक गणेश कुमार कश्यप को भेजा गया था.


बीमा कंपनी ने राशि देने से किया था इंकार
कोर्ट सूत्रों के मुताबिक पॉलिसी धारक गणेश कश्यप की मृत्यु 11 नवंबर 2021 को होने के बाद नॉमिनी सविता कश्यप पति गणेश कश्यप व शीमला देवी पति विश्वनाथ कश्यप के द्वारा मूल पॉलिसी बांड के साथ दावा प्रपत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र अन्य दस्तावेज निर्धारित समयावधि में बीमा कंपनी में जमा कर दिया गया था, मगर बीमा कंपनी के द्वारा बदनीयती से मृत्यु बीमा धन की राशि एक करोड़ रुपये देने से साफ इंकार कर दिया गया.


लोक अदालत ने यह कहा
स्थाई लोक अदालत, जनोपयोगी सेवांए की अध्यक्ष उर्मिला गुप्ता व सदस्य संतोष शर्मा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बीमा कंपनी का कहना है कि बीमा धारक, बीमा प्रस्ताव के पूर्व क्रोनिक अल्कोहल लिवर डिजीज से पीड़ित था. उसने इस बात को छिपाकर बीमा कराया. कंपनी ने चिकित्सक का 10 अगस्त 2022 व 11 जुलाई 2022 की रिपोर्ट पेश की है. जिसमें कहा गया है कि बीमा धारक गणेश कुमार कश्यप 2017 से लिवर डिजीज बीमारी से पीड़ित था. जबकि 2017 में बीमा धारक के इलाज का कंपनी कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाई. जिससे से यह प्रमाणित है कि बीमा कंपनी ने बीमारी के संबंध में जो भी रिपोर्ट दिए है, वह पॉलिसी धारक के मृत्यु के बाद का है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गणेश की मृत्यु का कारण कार्डियो रिस्प्रेटिट्री फेलियर बताया गया है. जिससे पॉलिसी पूर्व बीमारी की पुष्टि नहीं होती है.


कंपनी ने यह दिया दलील
इस मामले में बीमा कंपनी के द्वारा अपने जवाब में कहा गया कि बीमा धारक को प्रस्ताव फार्म के आधार पर पॉलिसी दी गई थी. बीमित व्यक्ति ने प्रस्ताव में दिए गए प्रश्नों का गलत उत्तर दिया और जानबूझकर पॉलिसी जारी करने के लिए गुमराह किया. जो बीमा अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है. यह कपट और बेईमानी को दर्शाता है. बीमा धारक की मृत्यु 11 नवंबर 2021 को दिल का दोहरा पड़ने से हुई थी. बीमा कंपनी ने जब जांच की तो पता चला बीमा धारक 2017 से क्रोनिक अल्कोहलिक लिवर रोग से पीड़ित था, जिसकी पुष्टि डॉक्टर ने की, जिसे छिपा कर बीमा कराया गया. इसलिए बीमा शर्तों का उल्लंघन पाने पर नॉमिनी का आवेदन निरस्त किया गया.


बीमा लोकपाल पर भी पल्ला झाड़ने का आरोप
न्यायालयीन सूत्रों के मुताबिक बीमा कंपनी के द्वारा मृत्यु दावा की राशि देने से मना करने के बाद नॉमिनियों ने बीमा कंपनी के केंद्रीय वादावली मुंबई और बीमा लोकपाल भोपाल के समक्ष निवेदन करते हुए बीमा राशि की मांग की गई, मगर बीमा लोकपाल ने पूरे दस्तावेज मंगाने के बाद यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि उसका क्षेत्राधिकार अधिकतम 30 लाख रुपये का है जबकि यह पॉलिसी एक करोड़ की है. बीमा कंपनी के केंद्रीय कार्यालय के द्वारा नॉमिनी को राशि का भुगतान करने से साफ साफ मना कर दिया गया.


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