T. S. Singh Deo in Bastar: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव (TS Singh Deo) अपने 3 दिवसीय दौरे पर बस्तर (Bastar) पहुंचे. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने देर रात अपने विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों और प्रशासन के अधिकारियों के साथ विभिन्न कार्यो को लेकर समीक्षा बैठक की. इस बैठक में बस्तर के लोगों ने एक गंभीर बीमारी से जूझने का खुलासा किया. मंत्री ने बताया कि बस्तर संभाग के ग्रामीण पिछले लंबे समय एक गंभीर बीमारी का सामना कर रहे हैं. पहली बार ग्रामीणों की यह सबसे बड़ी समस्या की बात समीक्षा बैठक में निकल कर सामने आई. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बस्तर संभाग के शहरी और ग्रामीण अंचलों में लोग हीमोग्लोबिन की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. यह एक सबसे बड़ी समस्या है. 


80 फीसद लोग एनीमिया के शिकार


बस्तर के स्वास्थ अधिकारियों से मिले आंकड़े के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि बस्तर संभाग के लगभग 80 फीसदी लोग शरीर में खून की कमी से जूझ रहे हैं और उनमें एनीमिया की शिकायत है. इसमें सबसे ज्यादा संख्या गर्भवती महिलाओं, नवजात बच्चों के साथ छोटे बच्चों और पुरुषों की है. खासकर मातृत्व में यह समस्या बनी हुई है. यह आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. खुद स्वास्थ्य मंत्री ने माना कि यह देश के सबसे बड़े आंकड़ों में से एक है. ग्रामीणों क्षेत्रों के अधिकतर मौतों की वजह यही समस्या बनी हुई है. उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर वे खुद चिंतित हैं. हालांकि बैठक के बाद अधिकारियों को समस्या का समाधान निकालने के आदेश दिए गये. मंत्री ने कहा कि बस्तर के ग्रामीणों को एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए अपने सेहत को लेकर खास सतर्कता बरतने की जरूरत है.


लोगों में हीमोग्लोबिन की कमी


मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि बस्तर के ग्रामीण अंचलों में रह रहे लोगों को इससे निपटने के लिए काफी समस्या आती है. बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं हर ग्रामीण तक नहीं पहुंच पाने के चलते उन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पाता. इससे ग्रामीणों की मौत हो जाती है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रोटीन युक्त भोजन गर्भवती महिला और बच्चों को मिले इसके लिए सरकार पोषण आहार अभियान भी चला रही है. इसके साथ उन्होंने कहा कि इस अभियान में जमीनी स्तर पर कहीं ना कहीं कमी हो रही है जिस वजह से इस तरह की बीमारी से लोग बड़ी संख्या में जूझ रहे हैं. उन्होने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में गंभीर बीमारी से बस्तर के ग्रामीणों की जूझने की जानकारी सामने आने के बाद शासन और प्रशासन गंभीर होकर काम करेगी.


रेगड़गट्टा में भी बिगड़े है हालात 


स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि सुकमा जिले के रेगड़गट्टा में भी पिछले 3 सालों में अलग-अलग बीमारी से 61 लोगों की मौत भी काफी गंभीर विषय है. हालांकि रेगड़गट्टा गांव तक पहुंच पाना स्वास्थ्य विभाग के लिए मुमकिन नहीं था. स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां पहुंचकर लोगों के ब्लड सैंपल लिये और वहां भी कई ग्रामीणों में एनीमिया की ही शिकायत मिली. साथ ही और अलग-अलग बीमारियों से यहां के ग्रामीण जूझ रहे हैं, और इससे उनकी मौत भी हुई है. उन्होंने कहा कि हालांकि यह भी कोई सामान्य बात नहीं है. यहां भी जिस तरह से बीते 3 सालों में मौतें हुई है, वह सरकार के लिए चिंता का विषय है.


मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को पूरी तरह से अलर्ट किया गया है. साथ ही आयरन युक्त हैंडपंप से जो ग्रामीण पानी पी रहे थे, उन सभी बोर को बंद करवाने के निर्देश दिए गए. साथ ही पेयजल की व्यवस्था दुरुस्त किये जाने के लिए आदेश दिया गया. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों तक उपचार पहुंचे इसके लिए जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी काम कर रहे हैं. कहीं ना कहीं कमी जरूर बनी हुई है, जिस वजह से इस तरह के हालात से जूझना पड़ रहा है. बस्तर संभाग के ग्रामीणों में 11 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन होने से उन्होंने चिंता जाहिर की. साथ ही इसके लिए जल्द ही ठोस कदम उठाने की बात भी कही.


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