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Chhattisgarh: गले में नारियल का टुकड़ा फंसने से आठ माह के मासूम की हालत गंभीर, डॉक्टरों ने करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद बचाई जान
Surguja: सरगुजा जिले में मासूम ने नारियल के टुकड़े को मुंह में लेकर निगलने की कोशिश की और गला में अटक जाने के कारण उसकी हालत गंभीर हो गई. अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में टुकड़ा निकाला गया.
![Chhattisgarh: गले में नारियल का टुकड़ा फंसने से आठ माह के मासूम की हालत गंभीर, डॉक्टरों ने करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद बचाई जान Chhattisgarh The condition of an eight-month-old baby is critical after a piece of coconut got stuck in his throat doctors saved his life after about two and a half hours of effort ann Chhattisgarh: गले में नारियल का टुकड़ा फंसने से आठ माह के मासूम की हालत गंभीर, डॉक्टरों ने करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद बचाई जान](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/12/21/a4e0bf3cf7db1fc2fc96c1f3fc62d5f9170312834562288_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में लापरवाही पूर्वक घर में नारियल का टुकडा फेंके जाने से आठ माह के मासूम की जान पर बन आई. मासूम ने नारियल के टुकड़े को मुंह में लेकर निगलने की कोशिश की और गला में अटक जाने के कारण उसकी हालत गंभीर हो गई. अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद मासूम के गले से चिमटी डाल नारियल का टुकड़ा निकाला गया. इसके लिए मासूम को निश्चेतना का इंजेक्शन भी देना पड़ा. डॉक्टरों के मुताबिक यदि मासूम को अस्पताल लाने में थोड़ी और होती तो अनहोनी की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता था.
प्रभारी अस्पताल अधीक्षक डॉ. जेके रेलवानी ने बताया कि जयनगर निवासी रामदेव का आठ माह का पुत्र आदित्य 29 दिसंबर की सुबह खेल-खेल में नारियल का टुकड़ा गटक लिया था. टुकड़ा उसके गले में फंस जाने से मासूम को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी. परिजन आनन-फानन में आदित्य को लेकर शहर के दो निजी अस्पतालों में पहुंचे थे लेकिन वहां छोटे बच्चे का ऑपरेशन करने से मना करने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे. शाम को आपातकाल विभाग में दिखाए जाने के बाद डॉक्टरों ने ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बीआर सिंह से संपर्क किया.
होश में लाना भी चुनौती
डॉ. बीआर सिंह तत्काल अस्पताल पहुंचे और बच्चे का एक्स-रे करवाकर रात में ही ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. उनके साथ डॉ.उषा, डॉ. अनुपम मिंज, डॉ.प्रिंसी, एनेस्थेसिया से डॉ. शिवांगी व सर्जरी विभाग के डॉक्टर की मदद ली गई. किसी आठ माह के मासूम के गले में नारियल अथवा कोई भी चीज फंसने का संभाग में संभवत यह पहला मामला है और डॉक्टरों ने भी अपने अनुभव का उपयोग करते हुए पहली बार इस तरह के केस को हैंडल कर मासूम की जान बचाई.
लगभग ढाई घंटे तक चला ऑपरेशन
डॉ. बीआर सिंह ने बताया कि आदित्य का उम्र आठ माह था और जब तक उसे पूरी तरह बेहोश नहीं किया जाता तो ऑपरेशन करना संभव नहीं होता. उन्होंने बताया कि मासूम आदित्य को एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. शिवांगी की मदद से पूरी तरह बेहोश किया गया और लगभग ढाई घंटे तक ऑपरेशन करने के बाद उसे पुनः होश में लाना भी चुनौती थी. टीम वर्क की मदद से मासूम को होश में लाया गया और डॉक्टरों की देखरेख में आईसीयू में शिफ्ट किया गया था. उन्होंने कहा कि एक जनवरी को मासूम के पूरी तरह स्वस्थ होने पर छुट्टी दे दी गई है.
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