Chhattisgarh News: रावण दहन होगा तो घर में जलता रहेगा चूल्हा, पुतला कारीगरों की जिंदगी की ये है अजब कहानी
Raipur News: छत्तीसगढ़ में रावण का पुतला बनाने हर साल मध्य प्रदेश से कारीगर आते हैं. वह बताते हैं कि एक पुतला बनाने का उन्हें 45 से 50 हजार रुपए मिल जाता है, जिससे 6 महीने का उनका राशन आ जाता है.
Raipur News: हर बुराई के बाद अच्छाई आती है, दुख के बाद सुख आता है. किसी का अंत भी किसी के लिए आरंभ लेकर आता है. ऐसे ही रावण के अंत के बाद भी नए युग का आरंभ हुआ था, जिसके बाद से रावण दहन (Ravana Dahan) की परंपरा चली आ रही है. पूरे भारत देश में हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है, भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन कोरोना काल के कारण पिछले दो साल से रावण दहन पर विराम लग गया था, लेकिन अब कोरोना लगभग समाप्त होने पर इस वर्ष देशभर में रावण दहन की तैयारी पूरी कर ली गई है. आज विजयादशमी के मौके पर रावण दहन किया जाएगा. कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके घर में रावण दहन के बाद चूल्हा जलेगा और खुशियों का आगमन होगा.
रावण के पुतलों के निर्माण से पलता है कारीगरों का पेट
दरअसल हम बात कर रहे हैं उन कारीगरों की जिनका पेट रावण के पुतलों के निर्माण से ही पलता है. रावण का पुतला तैयार करने के इन कारीगरों को लगभग 50 हजार रुपए तक की आय होती है, जिससे इन कारीगरों के घर में 6 माह का राशन आ जाता है. बता दें कि मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में दशकों से रावण दहन होता आ रहा है, यहां पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के कारीगर बीते 20 साल से रावण का पुतला बनाते आ रहे हैं. इन कारीगरों ने बताया कि वे वर्षों से यहां रावण का पुतला बनाने आ रहे है. पुतला बनाने के लिए इन्हें 50 हजार रुपए मिलते हैं. इस पैसे से ही इनके घर में 6 माह के राशन का जुगाड़ होता है. इसके बाद ये कारीगर गांव के आसपास मजदूरी कार्य में लग जाते हैं और अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरी करते हैं. मतलब साफ़ है कि रावण जलेगा तो इनके घर भी चूल्हा जलेगा.
एक पुतला बनाने का मिलता है 40 से 50 हजार
मध्य प्रदेश से आए रावण बनाने वाले एक कारीगर ने बताया कि एक रावण का पुतला बनाने का उन्हें 40 से 45 हजार रुपए मिलता है. इसके अलावा वे खेती बाड़ी का काम करते हैं. पिछले दो साल से रावण नहीं जला, इस दौरान वे खेती बाड़ी का ही काम करते रहे. रावण का पुतला बनाने के बदले उन्हें जो पैसे मिलते हैं, उससे इनका लगभग पांच से छह महीने का राशन आ जाता है. आयोजक जहीर ने बताया कि यहां पिछले 25 साल से रावण दहन किया जा रहा है, हर साल लगभग 65 फीट का रावण यहां जलाया जाता है. उन्होंने कहा कि रावण का पुतला बनकर तैयार हो गया है, इस बार आतिशबाजी बहुत जोरदार है. उन्होंने आगे बताया कि वह मुस्लिम समाज से आते हैं, लेकिन सब धर्म को मानते हैं और 25 साल से रावण जला रहे हैं. जहीन ने कहा कि वह दुर्गा पूजा में भी सम्मिलित रहते हैं. जहीर ने बताया कि वह गणेश पूजा समिति का पांच साल तक अध्यक्ष भी रहे और उनके ऊपर समाज की कोई बंदिश नहीं है. जहीर ने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत में हिंदू-मुस्लिम सब एकता के साथ रहें.
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