Chhattisgarh News: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा एलान, राज्य लंकरण श्रेणी में दिए जायेंगे ये तीन नए पुरस्कार
Durg News: पुरस्कारों की घोषणा करते हुए सीएम ने कहा कि जिन साधकों ने हमारी लोक संस्कृति को जीवंत बनाए रखने में अपना जीवन समर्पित किया, उन्हें सम्मानित करना राज्य सरकार का परम कर्तव्य है.
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Durg News: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लोक कला साधकों के हित में बड़ा निर्णय लिया है. छत्तीसगढ़ में राज्य स्थापना दिवस पर दिए जाने वाले राज्य अलंकरण श्रेणी में तीन नए पुरस्कार जोड़े गए हैं. यह पुरस्कार लोक कलाकार स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया और स्व. खुमान साव तथा भगवान राम की माता कौशल्या को समर्पित होंगे.
राज्य अलंकरण श्रेणी में जोड़े गए तीन नए पुरस्कार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ अपनी प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं जीवंत संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. यहां के लयबद्ध संगीत, लोकगीत एवं लोक नाट्य अद्भुत आनंद की अनुभूति कराते हैं. लोक संस्कृति के जिन साधकों ने इसे जीवंत बनाए रखने में अपना जीवन समर्पित किया है, उन्हें सम्मानित करना राज्य सरकार का परम कर्तव्य है. ऐसे में प्रदेश की लोकगीत व लोक संगीत की महान विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन और इस क्षेत्र में काम कर रहे नए कलाकारों को प्रेरित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य अलंकरण के रूप में अन्य पुरस्कारों के साथ तीन नए पुरस्कार भी दिए जाएंगे.
इनके नामों से दिया जाएगा पुरस्कार
इसमें लोकगीत के क्षेत्र में “लक्ष्मण मस्तुरिया पुरस्कार” दिया जाएगा. वहीं लोक संगीत के क्षेत्र में योगदान देने वाले कला साधकों को “खुमान साव पुरस्कार” से सम्मानित किया जाएगा. इसी तरह माता कौशल्या के मायके और भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में श्रेष्ठ रामायण (मानस) मंडली को “माता कौशल्या सम्मान” से अलंकृत किया जाएगा. राज्य अलंकरण की भांति ही इन श्रेणियों के पुरस्कार भी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले राज्योत्सव कार्यक्रम के दौरान प्रदान किए जाएंगे.
जानिए क्या कहा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और कला के क्षेत्र में अपना जीवन समर्पित करने वाले उन महान लोगों को उनके नाम से यह सम्मान दिया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी को उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हो सके और छत्तीसगढ़ की संस्कृति और कला को लोग बेहतर तरीके से जान सकें. ऐसा करने से लोगों में लोकगीत व लोक संगीत के प्रति रुचि भी बढ़ेगी.
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