Bastar News: देश में पहले ही बाघों की संख्या कम है और इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए लगातार भारत सरकार के द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में तीन महीनों में दो बाघों का शिकार हो गया है.  रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में बाघों की सुरक्षा में इसे बड़ी चूक माना जा रहा है. पहला मामला बीजापुर (Bijapur) में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व (Indravati Tiger Reserve) का है. यहां एक ढाई साल के शावक को जाल में फंसा कर शिकारियों ने उसकी हत्या कर दी.


यही नहीं शिकारियों ने उसके नाखून दांत के साथ खाल भी निकाल लिए. हालांकि  इससे पहले बाघ की खाल खरीददार तक पहुंच पाती इंद्रावती टाइगर रिजर्व की टीम ने इन तस्करों को धर दबोचा. प्रारंभिक कार्रवाई में कुल सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. बाद में मामले की छानबीन के दौरान इस मामले में कुल 43 आरोपी गिरफ्तार हुए. इन आरोपियों में  खरीददारों से लेकर शिकार करने वाले और लंबे समय से इस एरिया में सक्रिय रहने वाले आरोपी शामिल हैं.


कोंडागांव में पकड़े गए चार शिकारी
वन विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, आरोपियों के द्वारा लाखों रुपये की लागत से बाघ की खाल, नाखून और दांत बेचने का प्लान किया जा रहा था, लेकिन इससे पहले इंद्रावती टाइगर रिजर्व की टीम ने इन्हें धर दबोचा. वहीं दूसरा मामला कोंडागांव जिले का है, जहां पुलिस ने 20 लाख रुपये की बाघ की खाल, नाखून और दांत के साथ चार शिकारियों को पकड़ा है. पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि करीब तीन महीने पहले उन्होंने कोंडागांव नारायणपुर जिले के सरहदी  गांव के जंगल में  बाघ का शिकार किया था.


वाइल्डलाइफ विभाग के रिटार्यड अधिकारी में है नाराज
आरोपियों ने बताया कि  इसके बाद उसकी खाल, नाखून और दांत निकाले और बाघ के मांस को खा लिया था. इसके बाद से ही वो बाघ की खाल को बेचने के लिए जगह-जगह घूम रहे थे. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि बाघ की उम्र करीब तीन साल  थी. वो इंद्रावती टाईगर रिजर्व फॉरेस्ट एरिया से ही घूमते हुए कोंडागांव नारायणपुर के सरहदी जंगलों में आ पहुंचा था. इसके बाद उन्होंने बाघ का शिकार किया. वहीं पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन चारों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है. बता दें बस्तर में पिछले तीन महीने में हुए दो बाघों के शिकार से वाइल्डलाइफ के रिटायर्ड अधिकारियों में काफी नाराजगी है.


उनका कहना है कि बस्तर में बाघों का शिकार काफी गंभीर विषय है. तीन महीनों में दो बाघों की  शिकारियों के द्वारा हत्या किया जाना काफी गंभीर मामला है. वाइल्डलाइफ अधिकारियों को बाघों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. गौरतलब है कि हर साल बाघों के संरक्षण के लिए लाखों रुपये का बजट पास होता है, बावजूद इसके बस्तर के जंगलों में दो बाघों की हत्या हो जाना वाइल्ड  लाइफ विभाग के  द्वारा बाघों की सुरक्षा के दावों पर सवाल उठा रहा है.


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