Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में ये चार स्मारक होंगे टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवलप, सरकार को भेजा प्रस्ताव
Chhattisgarh Tourist Places: छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐतिहासिक पुरातात्विक स्मारकों के संरक्षण के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है. इससे यहां टूरिस्ट के लिए नए विकल्प तैयार होंगे.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में राज्य बनने के बाद पहली बार ऐतिहासिक पुरातात्विक स्मारकों के संरक्षण के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है. संस्कृति और पुरातत्व विभाग ने अपने प्रस्ताव में इसके लिए 4 स्मारक चिन्हित किया है. इसे राज्य सरकार (Government of Chhattisgarh) के पास भेजा गया है. सरकार की सहमति के बाद इन स्मारकों को आने वाले वक्त में टूरिज्म (Chhattisgarh tourism) सर्किट के रूप में विकसित किये जाएगे. इससे छत्तीसगढ़ में पर्यटकों के लिए विकल्प और बढ़ जाएगा.
इन 4 स्मारकों का हुआ चयन
दरअसल संस्कृति और पुरात्व विभाग ने मुंगेली के मदकूद्वीप, दुर्ग के तर्रीघाट, अंबिकापुर के महेशपुर और बलौदाबाजार के डमरू को शामिल किया है. इन जगहों को पर्यटक के सुविधा अनुसार विकसित किया जाएगा. आने जाने के मार्ग को बेहतर किया जाएगा और पर्यटकों के रहने-खाने के लिए भी व्यवस्था होगी. बता दें कि राज्य बनने से पहले 58 जगहों को संरक्षित किया गया था. इसमें प्रमुख रूप से राजिम के कुलेश्वर मंदिर, चंद्रखूर के शिव मंदिर, पलारी के सिद्धेश्वर मंदिर, धोबनी के चितावरी देवी मंदिर, तरपोंगी के मावली देवी मंदिर और नवागांव के प्राचीन ईंट मंदिर मंदिर शामिल हैं.
पुरातात्विक स्मारकों के संरक्षण का काम जल्द होगा शुरू
समय बीतता गया पर अबतक एक भी स्मारक को संरक्षित नहीं किया गया है. पुरातात्विक स्थल के देख रेख नहीं होने से स्मारकों को बदमाश नुकसान पहुंचा रहे हैं लेकिन अब पुरातात्विक स्मारकों के संरक्षण का काम शुरू होने जा रहा है. संस्कृति और पुरातत्व विभाग के प्रस्ताव को लेकर संस्कृति और पुरातत्व विभाग डायरेक्टर विवेक आचार्य ने जानकारी दी है कि राज्य बनने के बाद पहली बार चार जगहों को संरक्षित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा.
मदकूद्वीप की क्या है खासियत
मदकूद्वीप बिलासपुर और मुंगेली जिले के बीच शिवनाथ नदी में है. यहां 11वीं शताब्दी के शिव मंदिर के अवशेष मिले हैं. इसमें से एक धूमनाथेश्वर और इसके दाहिने और उत्तर दिशा में एक प्राचीन जलहरी स्थित है जिससे पानी का निकास होता है. इसी स्थान पर दो प्राचीन शिलालेख मिले हैं. पहला शिलालेख लगभग तीसरी सदी ई. का ब्राम्ही शिलालेख है. दूसरा शिलालेख शंखलिपी के अक्षरों का है. एक बिना सर के पुरुष की राजप्रतिमा मिली है जो 10वीं 11वीं सदी ईसा की हो सकती है.
मिले हैं बुद्ध के पद चिन्ह
तर्रीघाट में पुरातत्व विभाग की खुदाई में पुराने टीले और प्राचीन नगरों के अवशेष के साथ शिलालेख मिले हैं. ये खारुन के तटीय इलाके में मौजूद हैं. बलौदा बाजार के डमरू गांव में पुरातत्व विभाग की खुदाई में भगवान बुद्ध के पद चिन्ह समेत कई तरह की मूर्तियां मिली हैं और अंबिकापुर के महेशपुर में मौर्यकालीन नाट्यशाला, अभिलेख मिले हैं. इसके अलावा प्राचीन टीला और शैव वैष्णव और जैन धर्म की कलाकृतियां मिली है.