Chhattisgarh: बस्तर में ट्रॉमा सेंटर तो बना लेकिन शुरू नहीं हुआ... बस्तरवासियों के अलावा नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को होती है दिक्कत
Bastar News: बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने ट्रॉमा सेंटर को शुरू करने के आदेश दिए हैं, लेकिन इस ट्रॉमा सेंटर में घायलों को उपचार कब से मिल पाएगा इसको लेकर अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है.
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में बस्तरवासियों की ट्रॉमा सेंटर की लंबे समय से मांग पूरी होती दिखाई नहीं दे रही है. इसकी वजह से बस्तरवासियों के साथ-साथ नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को स्वास्थ्य संबंधी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल ट्रॉमा सेंटर नहीं होने की वजह से पुलिस नक्सली मुठभेड़ में और आईईडी ब्लास्ट में घायल जवानों को रायपुर रेफर करना पड़ता है, लेकिन इस दौरान कई बार बीच रास्ते में ही जवान दम तोड़ देते हैं. पिछले कुछ सालों से डिमरापाल अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर भवन तो बना दिया गया है, लेकिन अब तक इसे शुरू नहीं किया गया है.
वहीं यहां पर मेडिकल उपकरण भी अब तक नहीं लगाए गए हैं. हालांकि, हाल ही में मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के दौरे पर पहुंचे बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने ट्रॉमा सेंटर को शुरू करने के आदेश दिए हैं, लेकिन इस ट्रॉमा सेंटर में घायलों को उपचार कब से मिल पाएगा इसको लेकर अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है. दरअसल, बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा को दुरुस्त करने के लिए पिछली सरकार ने बस्तर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर की सौगात देने की घोषणा की थी, लेकिन यह सौगात इस कार्यकाल में पूरी नहीं हो पाई.
ट्रॉमा सेंटर में कब से शुरू होगा इलाज?
वहीं अब ऐसा माना जा रहा है कि इसके लिए और इंतजार करना पड़ सकता है. बता दें कि, बस्तर में ट्रॉमा सेंटर नहीं होने से सबसे ज्यादा दिक्कत नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को हो रही है, जो आए दिन नक्सलियों से होने वाली मुठभेढ़ और आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आकर घायल होते हैं. इसके अलावा सड़क दुर्घटना में भी गंभीर रूप से घायल मरीजों को भी बस्तर में ट्रॉमा सेंटर नहीं होने की वजह इलाज नहीं मिल पाता है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि, ट्रॉमा सेंटर भवन का निर्माण पूरा हो चुका है जल्द ही इसकी शुरुआत की जाएगी.
लंबे समय से हो रही थी मांग
गौरतलब है कि बस्तर पिछले तीन दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. यहां एक लाख से ज्यादा अर्धसैनिक बल नक्सल मोर्चे पर तैनात हैं. अंदरूनी इलाकों में आए दिन नक्सलियों से मुठभेड़ में जवान घायल होते हैं. ऐसे में उन्हें केवल पुलिस कैंप में ही प्रथमिक उपचार मिल पाता है. इसके बाद उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया जाता है और वहां भी बेहतर इलाज नहीं मिल पाने से एयर एंबुलेंस से राजधानी रायपुर रेफर किया जाता है, लेकिन कई बार जवानों की आधे रास्ते में ही मौत हो जाती है. इस समस्या को देखते हुए लंबे समय से बस्तरवासी जगदलपुर के सरकारी अस्प्ताल में ट्रॉमा सेंटर बनाने की मांग कर रहे हैं.
इस बीच डिमरापाल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनूरुप साहू ने बताया कि अस्पताल परिसर में 20 बेड का ट्रॉमा सेंटर भवन बना लिया गया है. हालांकि कोरोना काल की वजह से इसे बनाने में काफी लंबा समय लग गया, लेकिन अब काम में तेजी लाई गई है. वहीं हाल ही में मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल का दौरा करने पहुंचे बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने अस्पताल प्रबंधन के साथ बैठक कर ट्रॉमा सेंटर को जल्द ही शुरू करने के आदेश दिए हैं .
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