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Chhattisgarh: नदी किनारे मिट्टी का कटाव रोकने के लिए बघेल सरकार ने उठाया बड़ा कदम, खर्च होंगे इतने करोड़ रुपये
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का वन और जलवायु परिवर्तन विभाग बारहमासी नदियों के तटों को मिट्टी के कटाव से रोकने के साथ-साथ नदियों के पानी के बहाव के लिए 'नदी-तट वृक्षारोपण' कार्यक्रम चलाने जा रहा है.
Chhattisgarh Tree Plantation Program: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नदी-तटों पर मिट्टी का कटाव रोकने के उद्देश्य से अधिकारिक पौधरोपण के लिए 'नदी-तट वृक्षारोपण कार्यक्रम' के तहत साल 2022-23 के विभागीय बजट में 7 करोड़ 28 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है. गौरतलब है कि इस योजना के अंतर्गत साल 2021-22 में प्रदेश के 23 नदियों के तटों पर 10 लाख 74 हजार पौधों को लगाया गया है. छत्तीसगढ़ का वन और जलवायु परिवर्तन विभाग प्रदेश में बारहमासी नदियों के तटों को मिट्टी के कटाव से रोकने के साथ-साथ नदियों के पानी के बहाव को बनाये रखने के लिए 'नदी-तट वृक्षारोपण' कार्यक्रम चलाने जा रहा है.
इस योजना के अंतर्गत साल 2020-21 में 74 हेक्टेयर तैयारी, 457 हेक्टेयर रोपण और 1 हजार 507 हेक्टेयर पुराने रोपण क्षेत्र में रख-रखाव का कार्य किया गया. इसी तरह साल 2021-22 में दिसंबर महीने तक 105 हेक्टेयर तैयारी, 497 हेक्टेयर रोपण और 1 हजार 205 हेक्टेयर क्षेत्र में रख-रखाव का काम हुआ है. नदी-तट वृक्षारोपण कार्यक्रम अंतर्गत साल 2021-22 के दौरान शामिल नदियों में इंद्रावती नदी, शबरी नदी, चक्का-बुक्का नदी, महानदी, पैरी नदी, केलो नदी, ईब नदी, जोंक नदी, हसदेव नदी, तान्दुला नदी, नारंगी नदी, भंवरडीह नदी, अटेम नदी, रेड़ नदी, सेमरखाड़ नदी, भूपका नदी और महान नदी हैं. इसके अलावा सेन्दुर नदी, बरन नदी, मोरन नदी, सूर्या नदी, कन्हर नदी, भैसुन नदी, पथेल नदी, उभय नदी, बनास नदी, ओदारी नदी और दूध नदी के तट पर वृक्षारोपण का काम शामिल हैं.
कहा लगे हैं कितने पौधे?
प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि इनमें से इंद्रावती नदी के तट पर 20 हेक्टेयर रकबा में 22 हजार पौधों, शबरी नदी तट के 5 हेक्टेयर रकबा में 5 हजार 500 पौधों, चक्का-बुक्का नदी तट के पर 5 हेक्टेयर रकबा में साढे पांच हजार पौधों और महानदी तट के 52 हेक्टेयर रकबा में 57 हजार 200 पौधों का रोपण हुआ है. इसी तरह पैरी नदी तट के 30 हेक्टेयर रकबा में 33 हजार पौधों, केलो नदी तट के 1.88 हेक्टेयर रकबा में 780 पौधों, ईब नदी तट के एक हेक्टेयर रकबा में 200 पौधों, जोंक नदी तट के 40 हेक्टेयर रकबा में 44 हजार पौधों और हसदेव नदी तट के 42 हेक्टेयर रकबा में 46 हजार 200 पौधों का रोपण किया गया है.
वहीं तांदुला नदी तट के 30 हेक्टेयर रकबा में 33 हजार पौधों, नारंगी नदी तट के 44 हेक्टेयर रकबा में 48 हजार 671 पौधों, भंवरडीह नदी तट के 27 हेक्टेयर रकबा में 29 हजार पौधों, अटेम नदी तट के 20 हेक्टेयर रकबा में 22 हजार पौधों और रेड़ नदी तट के 150 हेक्टेयर रकबा में एक लाख 65 हजार पौधों का रोपण हुआ है. सेमरखाड़ नदी के 25 हेक्टेयर रकबा में 27 हजार 500 पौधों, भूपका नदी तट के 25 हेक्टेयर रकबा में 27 हजार 500 पौधों, महान नदी तट के 70 हेक्टेयर रकबा में 77 हजार पौधों तथा सेन्दुर नदी तट के 135 हेक्टेयर रकबा में एक लाख 49 हजार पौधों को लगाया गया है.
इसके अलावा बरन नदी तट के 35 हेक्टेयर रकबा में 38 हजार 500 पौधों, मोरन नदी तट के 25 हेक्टेयर रकबा में 27 हजार 500 पौधों और सूर्या नदी तट के 10 हेक्टेयर रकबा में 11 हजार पौधों का रोपण हुआ है. इसी तरह कन्हर नदी तट के 10 हेक्टेयर रकबा में 11 हजार पौधों, भैसुन नदी तट के 30 हेक्टेयर रकबा में 33 हजार पौधों, पथेल नदी तट के 10 हेक्टेयर रकबा में 11 हजार पौधों, उभय नदी तट के 10 हेक्टेयर में 11 हजार पौधों, बनास नदी तट के 70 हेक्टेयर रकबा में 77 हजार पौधों, ओदारी नदी तट के 25 हेक्टेयर रकबा में 27 हजार 500 पौधों और दूध नदी तट के एक हेक्टेयर रकबा में 830 पौधों का रोपण किया गया है.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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