Chhattisgarh Tribal: छत्तीसगढ़ में इस साल तेंदू पत्ते बेचकर संग्राहकों ने 630 करोड़ रुपए कमाए हैं. चालू वित्तीय वर्ष में 15 लाख 78 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ते का संग्रहण हुआ है. जो राज्य सरकार के लक्ष्य का करीब 94 फीसदी है. पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक कलेक्शन हुआ है. वहीं इस साल अबतक 12 लाख से अधिक लोगों ने तेंदूपत्ता बेचा है.


पिछले साल से 21 प्रतिशत ज्यादा कलेक्शन


दरअसल छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर तेंदूपत्ता की खरीदी की जाती है. इसलिए राज्य के आदिवासी-वनवासी हर साल गर्मियों के समय में जंगलों से तेंदुपत्ता का कलेक्शन करते हैं. इससे इनको रोजगार के साथ-साथ अच्छा मुनाफा हो जाता है. बता दें कि राज्य में साल 2020 में 9 लाख 73 हजार मानक बोरा और साल 2021 में 13 लाख 6 हजार मानक तेन्दूपत्ता का संग्रहण हुआ था, लेकिन इस साल 15 लाख 78 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का कलेक्शन हुआ है.


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इन जिलों से सर्वाधिक तेंदूपत्ते का कलेक्शन


राज्य लघु वनोपज संघ से मिली जानकारी के अनुसार अब तक जगदलपुर वनवृत्त के बीजापुर वनमंडल में 52 हजार संग्राहकों ने 32 करोड़ रुपये का तेंदूपत्ता बेचा है. जो 80 हजार 324 मानक बोरा है. सुकमा में 44 हजार संग्राहकों ने 40 करोड़ रुपये का तेंदूपत्ता बेचा है. जो एक लाख मानक बोरा है, दंतेवाड़ा में 20 हजार 323 संग्राहकों दने 8 करोड़ रूपए के 19 हजार 408 मानक बोरा तेंदूपत्ता बेचा है. इसी तरह जगदलपुर में 43 हजार 178 संग्राहकों ने 6.56 करोड़ रुपये के 16 हजार 396 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया है.


कई गुना बढ़ चुके हैं तेंदूपत्ते के दाम


गौरतलब है कि तेंदूपत्ता के एक बोरा में एक हजार सूखे पत्ते की एक गड्डी होती है और हर गड्डी में 50 पत्ते होते हैं. इसके पत्ते की तुड़ाई में वनवासी और आदिवासियों का काफी समय लगता है. लेकिन तेंदूपत्ता से काफी मुनाफा भी हो रहा है. क्योंकि राज्य गठन के समय सन 2000 में एक बोरा तेंदूपत्ते की कीमत 400 रुपए थी और 2022 तक ये राशि कई गुना बढ़कर 4 हजार रुपए कर दी गई है. समर्थन मूल्य बढ़ने के चलते वनवासी तेंदूपत्ता कलेक्शन में पहले से ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं.


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