स्वास्थ्य मंत्री बोले शराबबंदी कारण कठिन
अगले महीने बीजेपी बिलासपुर में बड़ा प्रदर्शन करने वाली है. इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं को जोड़ा जाएगा और शराबबंदी के मामले में कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश होगी. इस पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया.
टीएस सिंहदेव ने कहा कि बीजेपी ने खुद सरकारी दुकान से शराब बेचने की नीति अपनाई, आज वो शराबबंदी की बात कर रहे है. उन्होंने जिस कमेटी का गठन किया उस कमेटी ने शराबबंदी नहीं शराब सुझाव दिया था और बीयर बार खोले जाने की बात की थी. उन्होंने कहा कि जो खुद इस नीति को बना रहे थे उनको प्रश्न नहीं करना चाहिए. नागरिक करें तो एक बार समझ में आता है.
61 विकासखंड में ही शराबबंदी का निर्णय
टीएस सिंहदेव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कुछ अंदर की कहानी भी बताई. उन्होंने घोषणा पत्र में शराबबंदी को शामिल करने के दौरान की घटनाक्रम के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि शराबबंदी को घोषणा पत्र में प्रबल स्थान मिला था. कई लोगों ने उसको सराहा भी था और कई लोग ऐसे भी थे जो शराबबंदी के पक्ष में नहीं थे.
अनेकों लोगों ने कहा था कि बाबा आप शराबबंदी लाओगे तो हमारा वोट नहीं मिलेगा, ऐसी भी परिस्थिति थी. उन्होंने कहा कि मेरे साथ के लोग जिनको शौक है, वो सामान्य रूप से सेवन करते हैं. ऐसी परिस्थिति के बावजूद भी बातों को देख के समझ के निर्णय हुआ की हम शराबबंदी करेंगे. उन 61 विकास खंडों में करेंगे जहां ट्राइबल आबादी नहीं है.
गुजरात में केवल नाम के लिए शराबबंदी
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि आज के दिन मुझे लगता है कि शराबबंदी लागू करना बहुत कठिन होगा. गुजरात में देखिए नाम के लिए शराबबंदी है. 2 नंबर की शराब धड़ल्ले से बिक रही है. बिहार में नाम के लिए शराबबंदी है. बीच-बीच में जानकारी आती है कि इतने लोग मर गए. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर मुझे नहीं लगता कि आने वाले समय में पूर्ण शराबबंदी छत्तीसगढ़ में हो पाएगी.
कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए झूठा वादा किया
शराबबंदी के लिए भी बीजेपी मैदानी लड़ाई लड़ने की तैयारी में है. स्वास्थ्य मंत्री के बयान और उनके आरोपों का जवाब देते बीजेपी मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा कि 4 साल से कांग्रेस सरकार शराबबंदी के नाम पर जनता को अनेकों बार बेवकूफ बना चुकी है.
कई बार कमेटियों का जिक्र कर या अन्य राज्यों में अध्ययन की बात करके इस सरकार ने 4 साल गुजार दिए और आज खुले रूप में यह कह रही है कि शराबबंदी करना कठिन है. यह कहने के साथ-साथ कांग्रेस सरकार को जनता से हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए और कह देना चाहिए कि हमने सत्ता में आने के लिए या झूठा वादा किया था.
कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल है शराबबंदी
छत्तीसगढ़ में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे बड़े मुद्दों में से एक शराबबंदी था. अब 2023 विधानसभा सामने है तो फिर से शराबबंदी को लेकर छत्तीसगढ़ में चर्चाएं तेज हो गई. बीते चार साल से कांग्रेस शराबबंदी के अपने वादे पर अडिग है. दूसरी तरफ बीजेपी शराबबंदी की लेकर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी है. हालांकि आज भी शराबबंदी पर प्रदेश संसय बरकरार है.
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