Chhattisgarh: बस्तर दशहरा की अनोखी रस्म, 9 दिनों तक गड्ढे में बैठ निर्जल जोगी करता है मां दंतेश्वरी की तपस्या, ये है वजह
Bastar की एक अनोखी रस्म के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. दरअसल यहां 9 दिनों तक गड्ढे में बैठ निर्जल जोगी मां दंतेश्वरी की तपस्या करता है, जिससे दशहरे का पर्व निर्विघ्न संपन्न हो.
Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में मनाए जाने वाले विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व में 12 से अधिक अनोखी रस्म निभाई जाती है और सभी रस्में अपने आप में अद्भुत होती हैं. नवरात्रि के शुरुआत के साथ ही बस्तर के इन रस्मों को निभाने की परंपरा शुरू हो चुकी है. 75 तक दिनों तक मनाए जाने वाले इस महापर्व की सोमवार रात को एक और महत्वपूर्ण रस्म संपन्न हुई, जिसे जोगी बिठाई रस्म कहा जाता है.
600 साल पुरानी इस परंपरा को शहर के सिरासार भवन में निभाया गया. बस्तर जिले के बड़े आमाबाल गांव के रहने वाले दौलत राम नाग द्वारा अब अगले 9 दिन तक निर्जल तप करते हुए सीरासार भवन के अंदर बनाए गए गड्ढे में माता की आराधना करेंगे. मान्यता के अनुसार दशहरा का यह महापर्व बिना किसी बाधा के संपन्न हो इसलिए जोगी बिठाई रस्म अदा की जाती है.
रियासतकाल से चली आ रही परंपरा
दरअसल बस्तर दशहरा में जोगी से तात्पर्य योगी से है. इस रस्म में एक कहानी जुड़ी हुई है. बस्तर दशहरा के जानकार रुद्र नारायण पाणिग्राही ने बताया कि मान्यता के अनुसार सालों पहले दशहरा पर्व के दौरान हलबा जाति का एक युवक जगदलपुर स्थित राजमहल के नजदीक तप की मुद्रा में निर्जल उपवास पर बैठ गया था, दशहरे के दौरान 9 दिनों तक बिना कुछ खाए पिये मौन अवस्था में युवक के बैठे होने की जानकारी जब तत्कालीन बस्तर के महाराजा प्रवीण चंद्र भंजदेव को मिली तो वे स्वयं मिलने योगी के पास पहुंचे, और उससे तब पर बैठने का कारण पूछा, तब योगी ने बताया कि उसने दशहरा पर्व को निर्विघ्न और शांति पूर्वक रुप से संपन्न कराने के लिए यह तप किया है.
600 साल पुरानी है परंपरा
इसके बाद महाराजा ने योगी के लिए महल से कुछ दूरी पर सीरासार भवन का निर्माण करवाकर इस परंपरा को आगे बढ़ा रखने में सहायता की, और तब से लगातार इस रस्म में जोगी बनकर हलबा जाति का युवक 9 दिनों की तपस्या में बैठता है. इस वर्ष भी बड़े आमापाल गांव के दौलत राम नाग जोगी बन करीब 600 सालों से चली आ रही इस परंपरा को निभा रहे हैं, अब 9 दिनों तक युवक जोगी द्वारा गड्ढे में बैठकर निर्जल तपस्या की जाएगी.
9 दिनों तक गड्ढे में बैठ निर्जल जोगी करता है तपस्या
बस्तर सांसद और बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज ने बताया कि जोगी बिठाई रस्म मावली माता मंदिर में पुजारी द्वारा दीप जलाकर किया जाता है, देवी की पूजा अर्चना के बाद वहां रखे तलवार की पूजा की जाती है, उसके बाद उस तलवार को लेकर जोगी वापस सीरासार भवन में पहुंचता है, और पुजारी के प्रार्थना के बाद जोगी 9 नवरात्रि के 9 तक साधना का संकल्प लेकर गड्ढे में बैठता है. कहा जाता है कि जोगी के तप से देवी प्रसन्न होती हैं और यह विशाल पर्व बिना किसी बाधा के संपन्न होता है. इस साल भी दशहरा के इस महत्वपूर्ण रस्म को धूमधाम से संपन्न किया गया, अब अगले 9 दिनों तक मां दंतेश्वरी के साथ जोगी के भी दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु सिरासार भवन पहुंचते हैं.
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