Bijapur News: बस्तर में सुकमा जिले के रेगड़गट्टा गांव के बाद अब बीजापुर और नारायणपुर जिले की सीमा पर बसे गांव के लोगों की अज्ञात बीमारी से मौत हो रही है. पिछले 5 महीनों में 8 गांव के लगभग 40 लोगों की मौत इस अज्ञात बीमारी की वजह से हो गई है, जिसके बाद से इन गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ है. इन इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा नहीं होने की वजह से बीमार होने पर ग्रामीणों को झाड़-फूंक करने वाले बाबाओं का ही सहारा है, लेकिन  5 महीनों में लगातार एक के बाद एक 40 लोगों की मौत से गांव वालों में दहशत फैल गई है.


स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में हो रही मौतें
 ये ग्रामीण इलाके इंद्रावती नदी के दूसरी पार है, जिसकी वजह से इन गांव तक जाने-आने की कोई सुविधा नहीं है. ऐसे में शहरी इलाके से ये गांव पूरी तरह से कटे हुए हैं. स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने के कारण इन गांवों में लगातार मौतें हो रही हैं. मामले के तूल पकड़ने के बाद अब जाकर प्रशासन नींद से जागा है. बीजापुर और नारायणपुर के कलेक्टरों ने इन गांवों में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजी है, जो बीमारी का पता लगाने की कोशिश कर रही है.


5 महीनों में 40 लोगों की गई जान
बीजापुर और नारायणपुर जिले की सीमा पर मौजूद करीब 8 से 10 गांव माड़ इलाके में स्थित हैं. घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से यहां प्रशासन की टीम आज तक नहीं पहुंच पाई है. आजादी के 75 साल बाद भी इन गांवों में कोई सुविधा नहीं पहुंची है, लोग देसी दवाई और झाड़-फूंक से ही अपना इलाज करा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि लगभग पिछले 5 महीने से पूरे गांव के ग्रामीण एक अज्ञात बीमारी से जूझ रहे हैं, पहले ग्रामीणों को बुखार आता है और उसके बाद हाथ पैर फूलने लगते हैं, और उसके बाद शख्स की मौत हो जाती है. 


बीमारी की चपेट में सबसे अधिक महिलाएं
ग्रामीणों का कहना है कि  महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सभी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. अब तक इस अज्ञात बीमारी से 8 गांवों में 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 70 से अधिक ग्रामीण अभी इस बीमारी से जूझ रहे हैं. उनकी हालत भी गंभीर बनी हुई है.


झाड़ फूंक इलाज के भरोसे ग्रामीण


दरअसल इंद्रावती नदी पार के ये बेहद संवेदनशील गांव हैं.  इस इलाकों को  नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है. इसलिए  इन गांवों में शासन-प्रशासन के कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचते. बारिश की वजह से इंद्रावती नदी के उफान पर होने के चलते इलाज के लिए भी ग्रामीण शहर नहीं जा पा रहे और गांव में ही सिरहा-गुनिया के भरोसे हैं. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है बल्कि सालों से ऐसा ही चला आ रहा है.


इन गांव में हुईं मौतें
ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजापुर जिले के मर्रामेटा के 12, पेंटा के 3, पीडियाकोट के 8, बड़े पल्ली के 7 और नारायणपुर जिले के रेकावाया के 10 ग्रामीणों की अब तक मौत हो चुकी है. मरने वालों में अधिकतर महिलाएं हैं. वहीं बुजुर्गों और बच्चो ने भी इलाज के अभाव में दम तोड़ा है. 


बीमारी का पता लगाने के लिए टीम गठित
बीजापुर कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने बताया कि इंद्रावती नदी पार के इलाकों में ग्रामीणों की मौत और बीमारी की कुछ ही दिन पहले सूचना मिली है..  इन इलाकों के लिए टीम का गठन कर गांव भेजा जा रहा है.. टीम जाकर ग्रामीणों का इलाज करेगी और जांच के बाद पता लग पायेगा की आखिर ग्रामीणों की मौत कैसे हो रही है.


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