Narayanpur News: छत्तीसगढ़ के आदिवासी  बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में बीते एक साल से अबूझमाड़ के हजारों ग्रामीण अपने तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. बरसात, ठंड और गर्मी के मौसम को झेलते हुए अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं और मांग पूरी नहीं होने तक अपना आंदोलन समाप्त नहीं करने की बात कह रहे हैं.


 ग्रामीणों के आंदोलन को 1 साल बीतने के बावजूद अब तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या स्थानीय जनप्रतिनिधि इन ग्रामीणों की सुध लेने नहीं पहुंचा है और ना ही उनकी मांगों को लेकर कोई विचार किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण कांग्रेस के बाद अब बीजेपी सरकार के प्रति भी अपनी नाराजगी जता रहे हैं, इधर लगातार आंदोलन में ग्रामीणों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके के करीब 16 पंचायत के 108 गांव के हजारों ग्रामीण बीते 1 साल से अपने आंदोलन में डटे हुए हैं.


निर्दोष ग्रामीणों को नक्सली बताकर जेल में डालने का आरोप 


पिछले 1 साल से अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर और ओरछा इलाके के नदीपारा में आंदोलन पर बैठे हजारों ग्रामीणों ने बीते 3 फरवरी  को ओरछा नदीपारा से ओरछा पुलिस थाना तक विशाल रैली भी  निकाली और अपने हाथों में पारंपरिक हथियार तीर थनुष  लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते नजर आए. आंदोलन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार भी  आंदोलनरत ग्रामीणों से कभी मुलाकात करने की कोई कोशिश नहीं की, और ना ही वर्तमान में सत्ता में आयी बीजेपी सरकार हमारी सुध लेने की कोई कोशिश कर रही है.


ग्रामीणों का कहना है कि बीते लंबे समय से पुलिस द्वारा गांव के निर्दोष ग्रामीणों को नक्सली बताकर जेल में डाल दिया जा रहा है. आरोप लगाया कि पुलिस जवानों द्वारा फर्जी मुठभेड़ कर ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया जा रहा है, लेकिन उनके ऊपर किसी तरह की कार्यवाही नहीं की जा रही है, पुलिस और नक्सलियों की लड़ाई के बीच निर्दोष ग्रामीण पीस रहे हैं और लंबे समय से अपनी जान गंवा रहे हैं.ग्राम पंचायत से बिना अनुमति लिए अंदरूनी इलाकों में पुलिस कैंप स्थापित किया जा रहा है और निर्दोष ग्रामीणों को नक्सली बताकर जेल में ठूसा जा रहा है.जिससे ग्रामीण पूरी तरह से हताश हो चुके हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं.


इन तीन सूत्रीय मांगो को लेकर कर रहे आंदोलन


बीते एक साल से आंदोलन पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मुख्य रूप से तीन सूत्रीय मांग है जिसमें ओरछा  से आदेर तक सड़क चौड़ीकरण प्रस्ताव रद्द करने, तोडाबेढ़ा और आदेर में नया पुलिस कैंप खोलने का प्रस्ताव रद्द करने और वन संरक्षण कानून रद्द किये जाने के साथ ही आमदई आयरन ओर की खदान को रद्द करने की मांग ग्रामीणों ने की है, उनका  कहना है कि वह पिछले 1 साल से अपने इन तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन पर बैठे हुए हैं लेकिन शासन प्रशासन का कोई भी अमला आज तक उनसे मुलाकात करने उनकी समस्याओं की सुध लेने के लिए नहीं पहुंचा है.ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी इन मांगों को पूरा नहीं करेगी तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा.


 बस्तर के आईजी सुंदरराज पी क्या बोले? 


इस मामले में बस्तर के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि भोले भाले ग्रामीणों को नक्सली इस तरह के आंदोलन के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें भड़काने का काम कर रहे हैं. नक्सलियों के कोर इलाके में पुलिस के द्वारा कैंप खुलने से न सिर्फ उस गांव तक विकास कार्य पहुंच रहा है, बल्कि यहां के ग्रामीण शहरी दुनिया से भी जुड़ रहे हैं, नक्सली कभी नहीं चाहते कि ग्रामीणों का विकास हो, इसलिए वे विकास विरोधी बने हुए हैं और ग्रामीणों को भड़काने का काम कर रहे हैं, लेकिन कई जगहों पर ग्रामीण पुलिस का साथ दे रहे हैं और जिन जगहों में ग्रामीण इस तरह के आंदोलन कर रहे है उन्हें समझाने की पूरी कोशिश की जा रही है.


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