Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के मालगांव में मुरूम खदान के मलबे में दबकर 6 ग्रामीणों की हुई मौत ने सरकारी विभाग के लापरवाही की पोल खोल दी है. जिले में ऐसे सैकड़ों खदान हैं जहां अवैध उत्खनन कर कहीं गहरी खाई बना दी गई है, तो कहीं कोई मिट्टी के तलाश में ग्रामीणों ने सुरंग बना दी है. अब आलम यह है कि इन खदानों के गड्ढों में डूब कर कई ग्रामीणों की मौत हो चुकी है और इससे पहले भी मलबा में दबकर कई ग्रामीणों ने अपनी जान गवा दी है. बीते साल भर में ही खदानों के मलबा धंसने से उसके नीचे दबकर 14 लोगों की मौत हो चुकी है. बावजूद इसके प्रशासन लापरवाह बना हुआ है और लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है.
लापरवाही की वजह से मौत के मुंह में समा रहे ग्रामीण
दरअसल, बस्तर जिले में पिछले कुछ सालों से अवैध उत्खनन का कार्य जोरों पर चल रहा है. खासकर सरकारी खदानों मे मुरूम, रेत, गिट्टी और मिट्टी के लिए भू माफियाओं द्वारा और आसपास के ग्रामीणों के द्वारा इन खदानों को खोदकर बड़ी खाई बना दी गई है. खासकर क्रशर गिट्टी खदानों में तो ग्रामीणों और मवेशियों के सर पर मौत का साया हमेशा मंडराते रहता है. खदानों के इन गड्ढों में बारिश का पानी भर जाने की वजह से इसमें गिरकर पिछले कुछ सालों में कई ग्रामीणों की और मवेशियों की मौत हो चुकी है. प्रशासन ना तो ऐसे लोगों पर कोई कार्यवाही करती है और ना ही इन खदानों को भरवाने का काम करती है. इस वजह से ग्रामीण प्रशासन की लापरवाही की वजह से मौत के मुंह में समा जा रहे हैं. पिछले एक साल में ही 14 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन इन हादसों से कोई सबक लेता दिखाई नहीं दे रहा है.
नियमों को ताक पर रखकर चल रही खुदाई
खनिज विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक खनिज अधिनियम में खदानों में निश्चित गहराई तक खुदाई के साथ गड्ढों को भरे जाने का भी प्रावधान है, लेकिन खुद विभाग के अधिकारी मान रहे हैं, कि इसका पालन जिले में नहीं हो रहा है. इस वजह से हर खदान क्षेत्र में सैकड़ों खतरनाक गड्ढे हो गए हैं. यह गड्ढे मौत का कारण बन रहे हैं. वहीं राज्य शासन की ओर से गौण खनिज अधिनियम के तहत सरकारी और निजी जमीन पर खनिज निकासी के लिए लीज स्वीकृत किया जाता है और इसके लिए शासन और लीजधारी के बीच अनुबंध कराया जाता है.
इस संबंध में निर्धारित सीमा तक खुदाई के साथ गड्ढे को भरने की भी शर्त होती है, और गड्ढे नहीं भरे जाने पर लीजधारक से उसके एवज में वसूली का भी प्रावधान है. पत्थर के खनन के लिए अधिकतम 10 मीटर और मुरूम के लिए 7 मीटर गहराई तक खुदाई का नियम है ,लेकिन इस नियमों का पालन भी सरकारी विभागों के अधिकारी नहीं करते हैं, फिलहाल मालगांव में हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जिले में ऐसे सरकारी खदान और लीज पर दिए गए निजी खदानों की जानकारी जुटाकर नियम का पालन कराने की बात कह रहे हैं, लेकिन इस हादसे के बाद नींद से जागा प्रशासन अगर पहले ही नियमों का पालन कराने के लिए गंभीरता दिखाता तो मालगांव में हुए इस बड़े हादसे को रोका जा सकता था.
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