Chhattisgarh News. : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर क़यासों का बाज़ार गर्म है. बीजेपी (BJP) के राष्ट्रीय नेतृत्व और संगठन द्वारा जिस तरह से सीएम और डिप्टी सीएम के अचरज पैदा कर देने वाले चेहरों को सामने लाया गया है. उससे पुराने और कई बार विधायक मंत्री रहे चुके नेता भी अपनी ताजपोशी को लेकर संशय में नज़र आ रहे हैं. वहीं, सरगुजा (Surguja) संभाग से बीजेपी किन्हें मौका देगी इस पर भी चर्चा चल रही है क्योंकि यहां की सभी 14 सीटें बीजेपी ने जीत ली हैं.
सरगुजा के सूरजपुर जिले की तीनों सीटों से बीजेपी के नए चेहरे विधायक बने हैं. इनमें प्रेमनगर से भूलन सिंह, भटगांव के लक्ष्मी राजवाडे और प्रतापपुर से शकुंतला पोर्ते के नाम शामिल हैं. इसी तरह सरगुजा( अम्बिकापुर) जिले की तीनों विधानसभा से नए चेहरे जीतकर विधानसभा तक पहुंचे हैं. इनमें अम्बिकापुर सामान्य से राजेश अग्रवाल, सीतापुर आरक्षित सीट से सैनिक रामकुमार टोप्पो और लुंड्रा से प्रबोध मिंज ने चुनाव जीता है. सीतापुर और अम्बिकापुर में बीजेपी विधायकों ने प्रदेश के दिग्गज मंत्री अमरजीत भगत और टीएस सिंहदेव को पटकनी दी है.
क्या इन विधायकों को मिलेगा मौका
इन दो सीटों के अलावा संभाग के जशपुर जिले की बात करें तो यहां से सीएम विष्णुदेव साय को छोड़कर अन्य दो सीट से नए चेहरे के रूप में जशपुर से रायमुनि भगत और पत्थलगांव सीट से गोमती साय विधायक बनी हैं. बलरामपुर-रामानुजगंज की सामरी से पहली बार उद्देश्वरी पैकरा चुनाव जीती हैं. जबकि रामानुजगंज विधानसभा से दिग्गज और पुराने विधायक मंत्री रहे रामविचार नेताम ने जीत हासिल की है. इसी तरह कोरिया जिले से पुराने दिग्गज मंत्री विधायक रहे भैयालाल राजवाडे़ और नए जिले एमसीबी की दोनों सीट से पूर्व विधायक जीते हैं. जिनमें भरतपुर-सोनहत से पूर्व केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और मनेन्द्रगढ़ विधानसभा से श्याम बिहारी जायसवाल विधायक चुने गए हैं. ऐसे में सवाल उठाता है कि बीजेपी का साय सरकार में किसे कैबिनेट में जगह देती है.
14 विधायकों में 6 महिला
इस बार 6 महिला विधायकों ने कांग्रेस के दिग्गत नेताओं को पटकनी दी है. इनमें पहला नाम रेणुका सिंह का है. उसके बाद शकुंतला पोर्ते , लक्ष्मी राजवाडे , उद्देश्यपरक पैकरा, रायमुनि भगत और गोमती साय हैं. ऐसे में अगर कैबिनेट मे सरगुजा से किसी महिला को ज़िम्मेदार मिलती है तो वह किसे मिलेगी, इस पर अभी स्थिति साफ नहीं है.
जानते हैं एक्सपर्ट की राय
राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पांडेय के मुताबिक़ अगर जातिगत समीकरण को साधना होगा तो बीजेपी संगठन आदिवासी कंवर समाज से विष्णुदेव साय को संभाग से सीएम बना चुका है. ऐसे में गोड आदिवासी समाज से सबसे बड़ा चेहरा रामविचार नेताम और रेणुका सिंह का है. जिन्हें मंत्रीमंडल में जगह मिल सकती है. लेकिन अगर बीजेपी संगठन इसी समाज से नए युवा, पढ़े लिखे और महिला विधायक को चुनता है तो प्रतापपुर से जीतकर विधानसभा पहुंची शकुंतला पोर्ते का नाम सबसे ऊपर हो सकता है. उसी तरह अगर उरांव आदिवासी और अल्पसंख्यक तीनों को एक साथ साधने की कोशिश होगी तो उसमें राम कुमार टोप्पो और प्रबोध मिंज का नाम सबसे ऊपर है.
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