Chhattisgarh News: कॉल बेल बजाने पर पत्नी ने नहीं खोला दरवाजा, नाराज पति ने दायर कर दी तलाक की अर्जी
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के एक व्यक्ति ने कॉल बेल बजाने पर, पत्नी के द्वारा दरवाजा नहीं खोलने पर हाईकोर्ट में तलाक की अर्जी दायर कर दी, हालंकि कोर्ट ने सुनवाई के बाद मामले को खारिज कर दिया है.
Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की न्यायधानी बिलासपुर (Nyaydhani Bilaspur) के हाईकोर्ट (High Court) में तलाक का अनोखा मामला सामने आया है. पति के कॉल बेल बजाने पर पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला, जिसके के बाद पति ने हाईकोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दायर की है.
पति ने शादी के 33 साल बाद पत्नी के चरित्र पर शंक जताया है, हालांकि कोर्ट ने पति के इन आरोपों पर सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी है.
दरवाजा नहीं खोलने पर तलाक की अपील, 1988 में हुई थी शादी
दरअसल याचिकाकर्ता पति छत्तीसगढ़ का निवासी है. अक्टूबर 1988 में दोनों की शादी हुई थी. 1993 में एक बच्चे का जन्म हुआ और शादी के 33 साल बाद पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर शंका और क्रूरता का आरोप लगाकर तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
पति ने सबसे पहले फैमली कोर्ट में तलाक के लिए अपील किया. तब पति ने पत्नी पर आरोप लगाया कि अप्रैल 1992 में बच्चे के जन्म के पहले एक बार घर आया और कॉल बेल बजाया, लेकिन पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला.
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पति ने पत्नी पर लगाये थे यह आरोप
याचिकाकर्ता ने परिवाद में बताया कि, दरवाजा खटखटाने के बाद दरवाजा खुला तो देखा एक व्यक्ति अंदर बेडरूम में बैठा था. 1993 में बच्चे के जन्म के बाद भी उसके व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ.
दोनों के बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं है. वह बात नहीं करती और न ही खाना देती है. इन आरोपों के साथ पति ने फैमली कोर्ट में तलाक की अपील की थी, लेकिन पति के द्वारा लगाए आरोपों का कोई साक्ष्य पेश नहीं किए जाने पर फैमली कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था.
कोर्ट ने कहा पति-पत्नी एक दूसरे का करें सम्मान
फैमली कोर्ट के द्वारा याचिका खारिज किये जाने के बाद, पति ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. बिलासपुर हाईकोर्ट ने दोनो पक्षों की दलील सुनने के बाद पति के द्वारा लगाए जा रहे आरोपों संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाने पर, आरोपों को निराधार बताया.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, पति पत्नी को हमेशा एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए. बिलासपुर हाईकोर्ट ने फैमली कोर्ट के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए, पति की तलाक की अपील को खारिज कर दिया.
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