Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग (Surguja) के ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश के मौसम में मिलने वाले जंगली पुटू और खुखड़ी की कीमत में आग लगी हुई है. बता दें कि, बलरामपुर जिले के सेमरसोत, जशपुर, प्रतापपुर, सीतापुर क्षेत्र से अम्बिकापुर शहर में सबसे ज्यादा पुटू और खुखड़ी बिकने के लिए जाता है. पहले ग्रामीण सीधे बाजार में बैठकर इसकी बिक्री करते थे, जिससे लोगों को सही कीमत में यह मिल जाता था. वहीं अब पुटू व खुखड़ी (मशरुम) लेकर शहर में आने वाले ग्रामीणों को कोचियों का संगठित गिरोह रास्ते में घेर लेता है और 30 से 40 रुपये प्रति किलो की दर से थोक में खरीदने के बाद ही इसका भाव 12 से 15 गुना बढ़ाकर सात से आठ सौ रुपये प्रतिकिलो बेचते हैं.
दरअसल, कोचियों के द्वारा अब जिन इलाकों में पुटू और खुखड़ी की पैदावार ज्यादा होती है, उन इलाकों में ग्रामीणों से सीधे तौर पर औने-पौने दाम में इसकी खरीद की जाती है और कई गुना ज्यादा दाम में बेंचा जाता है. बता दें कि, ग्रामीण इलाकों से पुटू लेकर आने वाले लोगों को शहर में कोचिए घेर लेते हैं और औने-पौने दामों में खरीदी के लिए आपस में छीना झपटी भी शुरू कर देते हैं. ऐसी स्थिति में ग्रामीणों को मजबूरन काफी कम कीमत में इसकी बिक्री करनी पड़ती है. इधर कोचिए पूटू में मिट्टी लपेट इसे भिगाते हुए और वजन कर देते हैं. इससे लोगों को काफी महंगे दर पर खरीदने के बावजूद प्रति किलो 250 से 300 ग्राम मिट्टी निकलने से नुकसान उठाना पड़ता है.
पूटू और खुखड़ी की सही पहचान होना जरूरी
इधर जंगली पुटू और खुखड़ी सरगुजावासियों के लिए पसंदीदा आहार माना जाता है. इसे चिकन, मटन के समान ही पौष्टिक मानते हुए डॉक्टरों के इसे खाने की सलाह दी जाती है. हालांकि, मशरूम और पूटू की कुछ प्रजातियां काफी नुकसानदायक होती हैं, जिसको खाने से लोग बीमार भी पड़ जाते हैं. ऐसे में सही खुखड़ी की पहचान जरूरी है. कई बार जानकारी के आभाव में लोग जहरीले पूटू, खुखड़ी के खाकर बीमार पड़ जाते हैं. हाल ही में मैनपाट क्षेत्र में पुटू खाने से एक ही परिवार के चार सदस्यों को उल्टी, दस्त आने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था.